छावला गैंगरेप मर्डर केस : सर्वोच्च न्यायलय़ ने तीनो आरोपियों को किया बरी , माता-पिता ने मुख्यमंत्री धामी से की मदद की अपील

April 7, 2023 | samvaad365

इंसाफ मिलने में वक्त लगता है । धैर्य की लाठी का सहारा लेना पड़ता है। सही वक्क का इंतजार करना पड़ता है।  किंतु यह सब करने पर भी इसाफा ना मिले तो क्या करना पड़ता है। और आज यही सवाल उत्तराखंड की बेटी किरण नेगी के माता-पिता के जहन में उठ रहे हैं । क्योंकि हाईकोर्ट ने जिन तीन आरोपियों को मौत की सजा सुनाई थी उन्हें माननीय सर्वोच्च न्यायलय ने बरी कर दिया है।

 

2012 को दिल्ली में हुए किरण नेगी बलात्कार और हत्याकांड मामले में 11 साल बाद देश की सर्वोच्च अदालत ने तीनों आरोपियों को बरी करके पूरे देश को सकते में डाल दिया । ये शायद ऐसा पहला केस था जिसमें क्रूरता की हद पार होने पर भी आरोपी बरी हो गए । ये हत्याकांड अपने-आप में दिल दहला देने वाला था, किरण के साथ जो हुआ वो सुनने मात्र से ही रूह कांपने लगती है ।

तारीख थी 9 फरवरी 2012 गुड़गांव की एक निजी कंपनी में काम करने वाली किरण रोज की तरह अपने ऑफिस के काम को खत्म करके घर आ रही थी । वो अपने ऑफिस से थोड़ी दूर चली ही थी की देर से पीछा कर रही एक लाल इंडिका कार ने उसे छावला के कुतुब विहार हनुमान चौक में रोक लिया, कार में बैठे तीन बदमाशों ने उसे अगुवा कर लिया । किरण ने उस दौरान खुद को बचाने की पूरी कोशिश की लेकिन अकेली युवती बदमाशों के सामने क्या और कितना टिक पाती । कार में अगुवा करके तीनो आरोपी उसे सीधे हरियाणा ले गए, हरियाणा स् जाने के बाद तीनों दरिंदों ने उसका तीन दिन तक रेप किया, उसे जितना पड़पाया जा सकता था उतना तड़पाया गया, जितना दर्द दिया जा सकता था उसे उतना दर्द दिया गया ।

किरण चीखती रही चिल्लाती रही । लेकिन वो तीनो उसे भूखे शेर की मानिंद नोचते रहे । रेप के बाद उसकी आंखे फोड़ दी, उसकी आंखों में तजाब डाल दिया, कानों में पेंचकस ठोक दिया, उसके गुप्तांगों में कांच की बोतल फोड़ कर डाली गई और अंत में उसे सरसों के खेत में फेंक दिया । इतनी बर्बरता से आप अंदाजा लगाइये की किस अपराधी किस मानसिकता के थे ।

 

12 फरवरी 2012 को मुख्य आरोपी राहुल को लाल रंग की इंडिका कार के साथ पुलिस ने गिरफ्तार किया । पूछताछ में राहुल ने पुलिस को बताया कि उसने अपने भाई रवि और एक अन्य व्यक्ति विनोद उर्फ छोटू के साथ युवती को कुतुब विहार से किडनैप किया, उसके साथ बलात्कार किया और उसकी हत्या करके शव झज्झर के खेतों में फेंक दिया. इसके बाद पुलिस ने रवि और विनोद को भी गिरफ्तार किया. पुलिस ने रवि और विनोद के साथ जा कर शव बरामद किया ।

दिल्ली सेशंस कोर्ट ने मामले की सुनवाई की । सुनवाई में कई बातें सामने आई- जैसे- कार में किरण के बाल मिले जिनका डीएनए किरण से मैच हुआ। मृतका के सिर पर चोट मिली जो गाडी में रखे उपकरणों से दी गई थी । इसके अलावा क्राइम सीन से राहुल की कार का बंपर का एक टुकड़ा और उसका वॉलेट भी बरामद किया गया ।

 

और भी तमाम सबूतों और 49 गवाहों को सुनने के बाद सेशंस कोर्ट ने तीनों आरोपियों को 19 फरवरी 2014 को दोषी दिया । इन तीनो आरोपियों को IPC की धारा 365, 367, 376(2), 377, 302 औऱ 201 के तहत सजा दी गई थी ।  इसके बाद सेशंस कोर्ट के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई ।

दिल्ली उच्च न्यायालय ने इन्हीं सबूतों पर विश्वास करने के साथ ही पाया कि मृतका के शरीर पर जो बाल पाये गए थे, उनका डीएनए आरोपी रवि से मिलता है और कार में जो सीमन मिला उसका डीएनए आरोपी विनोद से मिलता है. ये सबूत निचली अदालत की नजर में नहीं आए थे । दिल्ली हाईकोर्ट ने सेशन कोर्ट में दी गई सजा को बरकरार रखते हुए 26 अगस्त 2014 को सजा-ए-मौत का फैसला सुनाया । किंतु बीते दिन सर्वोच्च अदालत ने तीनो आरोपियों को बरी कर दिया है। अदालत के इस फैसले ने किरन नेगी के परिजनों के पैरों तले से जमीन खिसका दी। अपनी बेटी को इंसाफ दिलाने के लिए एक बार फिर से किरण नेगी के माता-पिता ने आवाज उठाई है । किरण नेगी के माता-पिता ने 9 अप्रैल को पूरे प्रदेश की जनता को जंतर मंतर आने की अपील की है । साथ ही उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से भी मदद की मांग की है ।

चांदनी कुनियाल

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