सकंट मे देवभूमी ? सडंक औऱ सरकारी जमीन पर अवैध मजारों का कब्जा

April 7, 2023 | samvaad365

देवभूमि उत्तराखंड अपने खूबसूरत पहाड़ों, मौसम और नजारों के लिए मशहूर है. लेकिन आज का उत्तराखंड थोड़ा बदल गया है। उत्तराखंड में दोनों तरफ सड़क के किनारे आपको बड़ी संख्या में मजारें नजर आएंगे। मस्जिद का मतलब उस प्रार्थनास्थल से है, जहां मुसलमानों द्वारा इबादत की जाती है. जबकि मजार का अर्थ, उस स्थान से है, जहां किसी व्यक्ति की कब्र या समाधि है।

मजारो को गिराने का काम जारी-

उत्तराखंड में अब तक ऐसी एक हजार से ज्यादा मजारों को चिन्हित किया जा चुका है, जो वन विभाग या सरकार की दूसरी जमीनों पर अवैध कब्जा करके बनाई गई हैं,और इनमें से अब तक 102 मजारों को सरकार द्वारा ध्वस्त किया भी जा चुका है. आपको बता दें कि जब इन मजारों पर बुलडोजर चलाया गया तो वहां इन मजारों की जांच की गई. इस जांच में पता चला कि इन मजारों में जो कब्र बनी हुई हैं, उनमें से कई में मृत व्यक्ति के अवशेष ही नहीं हैं. यानी कब्र है और उस कब्र की एक मजार भी बनी हुई है. लेकिन उस कब्र में मानव अवशेष नहीं है इसका सीधा मतलब ये है कि, इन अवैध मजारों का निर्माण दो मकसद से किया गया है.

वन विभाग की जमीन पर बनाई गई मजार-

यहां के जंगलों की जमीन उत्तराखंड के वन विभाग के अंतर्गत आती है और कानून कहता है कि यहां जंगलों के किसी भी क्षेत्र में कोई धार्मिक स्थल नहीं बनाया जा सकता और ना ही किसी तरह का कोई अतिक्रमण हो सकता है. लेकिन जब हमारी टीम रामनगर के इसी टाइगर रिजर्व एरिया में पहुंची तो हमें ये पता चला कि इस क्षेत्र में एक दो नहीं बल्कि कई मजारें बनी हुई हैं और इनमें कुछ मजारें तो ऐसी हैं, जो पिछले 10 से 15 वर्षों में बनी हैं. ये मजारें देखने पर आपको काफी विशाल नजर आएंगे।

अंकिता कुमाई

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