भारत में पहली बार यूपी की गरिमा सिंह ने शुरू किया किन्नर भोज

April 12, 2022 | samvaad365

अर्ध नर और अर्ध नारी स्वरूप किन्नर जिनकी एक दुआ इंसान को राजा बना देती है तो इनकी एक बद्दुआ भीखारी भी बना देती है। पूरी दुनिया में पाए जाते है ये किन्नर लेकिन 2014 में भारत में किन्नर समाज को एक तीसरे लिंग के रूप में स्थान दिया।तो वही किन्नर समाज के लिए कार्य कर रही 25 वर्षीय गरीमा सिंह ने किन्नर समाज को दिया सम्मान भारत में पहली बार किन्नर भोज करा कर।

गरीमा सिंह रहने वाली उन्नाव जिले की है लेकिन रहती लखनऊ में है, गरीमा ने लॉकडाउन में भी किन्नरो की काफी मदद की, गरिमा बताती है कि मैं पहले किन्नरों से बहुत डरती थी शायद अभी भी बहुत से लोग डरते होंगे लेकिन एक बार जब मैं एक किन्नर से मिली और उसकी जिन्दगी के बारे में उससे पता किया तो उसके बाद से मेरी सोच किन्नर समाज के लिए बदल गई, एक किन्नर ने मुझसे कहा दीदी जब मैं रात को सोती हूं तो ये सोचती हूं कि मैं सुबह उठू ही नहीं मर जाऊ आखिर मुझे ही ये जिंदगी क्यों मिली, लोग मुझे हीन भावना से देखते है, बोलते है ये देखो छक्का आ गया या वो हिजड़ा जा रहा है। मैं कही दुकान पर जाऊ तो लोग मुझे गिरी हुई नजर से देखते है, सरकार ने हमे मान्यता तो दे दी लेकिन अभी तक लोग हमे सम्मान नही दे पा रहे है, जब की हम किन्नरों को शिव स्वरुप माना गया है, बस मैंने यही सोचा कि मैं इनके लिए कुछ करूंगी और इनको समाज में सम्मान दिलाऊंगी।

उसके बाद 2021 अक्टूबर नवरात्री में मैं सारे नवरात्र रही और फिर मेरे दिल में ख्याल आया क्यों न माता प्रिया भक्तो को ही भोजन कराउ, वैसे देखा जाय तो ये माता के बहुत बड़े भक्त होते है ये दुर्गा मां और शिव जी को ज्यादा पूजा करते हैं, फिर क्या था मैंने कुछ जानने वाली किन्नरों से बात की और उनको बोला कि मुझे किन्नर भोज कराना है तो इस बात को सुन किन्नर भी हैरत में थे उन्होने कहा दीदी मैंने आज तक तो कभी न सुना किन्नर भोज के बारे में न अभी तक किसी ने किन्नर भोज कराया है। मैने कहा जानती हूं कि मैं नवरात्री समापन के बाद लोग कन्या भोज कराते है परन्तु मुझे किन्नर भोज ही कराना है, फिर क्या था 5 किन्नर तैयार हुए मेरे घर आने को मैने सभी के लिए अपने हाथो से भोजन बनाया और उनका स्वागत कुछ ऐसे किया जैसे मेरे घर माता रानी आई हो उनके पैरो को धो कर उनको भोजन कराया और अपनी श्रद्धा के अनुसान भोजन के उपरांत वाली दक्षिणा भी दी साथ ही सभी का आशीर्वाद और एक अलग से प्रेम प्राप्त हुआ। तो वहीं इस बार फिर से मैंने नवरात्री समापन पर दुसरी बार किन्नर भोज कराया इस बार 7 किन्नर थे थोड़ा सा खर्च भी ज्यादा हो जाता है क्योंकि हमारे किन्नर भोज की वजह से इनके नेग मांगने का समय खाना खाने में चला जाता है तो मेरी कोशिश ये रहती है कि इनको ऐसा सम्मान दू जो इनको काफी अच्छा लगे।

किन्नर समाज बचपन से ही प्रेम और सम्मान का भूखा होता है क्योंकि इनको बचपन में मां बाप का प्रेम नही मिलता है फिर हमारा समाज उनको छक्का हिजड़ा जैसे नाम से पुकार देता है, छोटे बच्चे डरते है तो वही महिलाएं एक अलग नजर से देखती है न कोई साथ चलना चाहता है और न कोई इनसे बात करना चाहता है।

वैसे तो उत्तर प्रदेश एक ऐसा राज्य है जो हिंदुवत के लिए जाना जाता है यहां सीएम भी एक भगवा धारी योगी आदित्यनाथ जी है जिनको पूरा भारत जनता है, वैसे देखा जाय तो महाभारत में भी किन्नर का नाम आता है जब महाभारत में भीष्मपितामा के सामने अर्जुन के रथ पर शिखंडी आ जाती है, राम से मिला था आशीर्वाद.

मान्यता है कि प्रभु श्रीराम जब 14 वर्ष का वनवास काटने के लिए अयोध्या छोड़ने लगे, तब उनकी प्रजा और किन्नर समुदाय भी उनके पीछे-पीछे चलने लगे थे। तब श्रीराम ने उन्हें वापस अयोध्या लौटने को कहा। लंका विजय के पश्चात जब श्रीराम 14 साल वापस अयोध्या लौटे तो उन्होंने देखा बाकी लोग तो चले गए थे, लेकिन किन्नर वहीं पर उनका इंतजार कर रहे थे। उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर प्रभु श्रीराम ने किन्नरों को वरदान दिया कि उनका आशीर्वाद हमेशा फलित होगा। तब से बच्चे के जन्म और विवाह आदि मांगलिक कार्यों में वे लोगों को आशीर्वाद प्रदान करते हैं ।

समाज में किन्नरों का अस्तित्व, न केवल कई लिंगों को स्वीकार करने के लिए प्रणाली को चुनौती देता है, बल्कि इस विचार को स्वीकार करने के लिए भी, मिथक और वास्तविकता में, कि किसी व्यक्ति के जीवनकाल में लिंग और लिंग को बदला जा सकता है।

15 अप्रैल 2014 में किन्नरों पर सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया और सुप्रीम कोर्ट ने लिंग के तीसरे वर्ग के रूप में ट्रांसजेंडर को मान्यता दे दी, इसके साथ किन्नरों की ऐसा दर्जा देने वाला भारत दुनिया का पहला देश बन गया है।

संवाद 365, अमित शर्मा

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