हरदोई: कोरोना वायरस को लेकर पूरे देश में लॉकडाउन है, वहीं हरदोई के तरबूज किसान अपनी फसल को बाजार में बेचने को लेकर परेशान हैं। किसान ने दस से बारह हजार रुपये प्रति बीघा पर मालगुजारी खेत लेकर खीरा, ककड़ी, तरबूज की खेती की, लेकिन अब कोरोना संकट के बीच वह अपनी फसल बेच नहीं पा रहे हैं। जिसका सीधा असर उनकी रोजी रोटी पर पड़ रहा है। दरअसल, लॉकडाउन की वजह से व्यापारी नहीं आ रहे हैं। इसलिए ये नुकसान किसानों को झेलना पड़ रहा है।
कोरोना वायरस के चलते देशभर में 17 मई तक लाकडाउन चल रहा है, जिसका खामियाजा सबसे ज्यादा गंगा के किनारे बसा अन्नदाता भुगत रहा है। किसानों ने बैंक से पैसे लेकर गंगा के किनारे तरबूज, खरबूजा व अन्य सब्जियों की खेती तैयार की। पिछले साल की तुलना में इस वर्ष फसल अच्छी थी। पर लाॅकडाउन के कारण खरीदार नहीं आने से तरबूज खेतों में बर्बाद हो रहे हैं। यदि किसान इन्हें मंडी पर ले भी जाते हैं तो वहां व्यापारी नही और है भी तो पैसे नहीं होने का बहाना बता खरीदने से इंकार कर रहे हैं।
तरबूज का निर्यात नहीं होने से तरबूज खेतों में सड़ने को मजबूर है जिसके चलते किसानों के सामने रोटी का संकट खड़ा हो गया है। किसानों ने बताया कि खेतों में तरबूज की फसल पूर्ण बहार पर है, लेकिन बाजार तक नहीं पहुंच पाई। इस कारण लाखों रुपये नुकसान है।किसानों का कहना है कि पूरा परिवार पिछले दो माह से तरबूज की फसल को तैयार करने के लिए खेतों में डटा रहा। बारिश और ओले से हमने फसल को बचाया। फसल पूरी तरह से तैयार है। एक-एक तरबूज आठ से दस किलो का है। मार्च में लाॅकडाउन होने के कारण फसल बाजार में नहीं जा सकी और खेतों में सड़ रही हैं। किसानों का कहना है कि यदि जल्द सरकार ने तरबूज की खरीदारी नहीं करवाई तो सैकड़ों किसान भुखमरी के कगार पर आ जाएंगे।
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संवाद365/लवी खान