हरिद्वार: अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के गठन पर सवाल

December 13, 2019 | samvaad365

हरिद्वार: संतो की वरिष्ठ संस्था कहीं जाने वाली अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के गठन को लेकर एक बार फिर से कई संत लामबंद हो चले हैं। अखाड़ा परिषद के पूर्व प्रवक्ता और वरिष्ठ संत बाबा हठयोगी ने अखाड़ा परिषद के गठन पर सवालिया निशान लगाते हुए कहा है कि जिस तरह से असंवैधानिक और नियमों को ताक पर रखकर अखाड़ा परिषद का गठन हुआ है वह एकदम गलत है क्योंकि नियमों के अनुसार अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष और महामंत्री पद पर वैष्णो और सन्यासी परंपरा के संतो को आसीन होना चाहिए, लेकिन निरंजनी अखाड़े के महंत नरेंद्र गिरी और जूना अखाड़े के महंत हरी गिरी ने हरिद्वार में होने वाले कुंभ की करोड़ों की निधि डकारने के लिए नियमों को ताक पर रखकर बंद कमरे में अध्यक्ष और महामंत्री का पद क़ब्जा लिया है, यह दोनों संत सन्यास परंपरा से आते हैं और इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है कि जब अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महामंत्री पद केवल सन्यास परंपरा के संतों को ही मिले हैं। बाबा हठयोगी के अनुसार पहले नासिक फिर उज्जैन और इलाहाबाद कुंभ के बाद अब हरिद्वार कुंभ में भी अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महामंत्री करोड़ों की कुंभ निधि हड़पने की कोशिश कर रहे हैं और इसके लिए उत्तराखंड सरकार से लेकर कुंभ मेला प्रशासन पर दबाव बनाया जा रहा है। बाबा हठयोगी के अनुसार कई संतों को अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष और महामंत्री ने दरकिनार कर दिया है जिसे लेकर कई संतों में भारी नाराजगी भी है और आने वाले हरिद्वार महाकुंभ में कई साधु-संत इसका पुरजोर विरोध करेंगे। बाबा हठयोगी ने अखाड़ा परिषद को कुंभ माफिया परिषद की संज्ञा दे डाली है।

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संवाद365/नरेश तोमर 

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