एम्स ऋषिकेश में शुरू हुई ये वर्कशॉप…

June 30, 2019 | samvaad365

ऋषिकेश: अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स ऋषिकेश में डिपार्टमेंट ऑफ ट्रॉमा सर्जरी की ओर से ट्रॉमा केयर पर आधारित एडवांस ट्रॉमा लाइफ सपोर्ट्र एटीएलएस व एडवांस ट्रॉमा केयर फॉर नर्सिंग एटीसीएन नेशनल वर्कशॉप शुरू हो गई,  प्रशिक्षण कार्यशाला में  चिकित्सकों के साथ ही नर्सिंग स्टाफ को भी शामिल किया गया है। जिसमें एम्स समेत देश के विभिन्न मेडिकल संस्थानों के विशेषज्ञ व प्रतिभागी चिकित्सक शिरकत कर रहे हैं। इस दौरान विशेषज्ञों ने सड़क दुर्घटनाओं की रोकथाम के लिए सुरक्षात्मक उपायों को नजरअंदाज करने को जीवन के लिए घातक बताया, उन्होंने कहा कि जनजागरूकता से ही दुर्घटनाओं में मृत्यु के ग्राफ को कम किया जा सकता है।

शनिवार को बतौर मुख्य अतिथि एम्स निदेशक पद्मश्री प्रोफेसर रवि कांत ने तीन दिवसीय नेशनल ट्रॉमा केयर वर्कशॉप का विधिवत शुभारंभ किया। इस अवसर पर निदेशक एम्स प्रो. रवि कांत ने जोर दिया कि जिस तरह से युद्ध से पूर्व सैनिक इसके लिए ट्रेनिंग पूरी कर दक्षता हासिल कर लेते हैं, ठीक उसी तरह आपातकालीन स्थितियों से पूर्व चिकित्सकों व नर्सिंग स्टाफ का ऐसी स्थितियों से निपटने के लिए पूरी तरह से प्रशि​क्षित होना जरुरी है। उन्होंने बताया कि आपदाओं व सड़क दुर्घटनाओं के चलते ट्रॉमा से जुड़े मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं, जो ​कि चिकित्सकों के लिए किसी चुनौती से कम नहीं हैं। ऐसे में ट्रॉमा लाइफ सपोर्ट प्रशिक्षण चिकित्सकों के साथ ही नर्सेस के लिए भी जरुरी हो गया है।

निदेशक एम्स प्रो. रवि कांत ने कहा कि इस प्रशिक्षण से आपदा व सड़क दुर्घटनाओं में घायल होने वाले लोगों को सहायता मिलेगी और उनके जीवन की रक्षा हो सकेगी।  दिल्ली एम्स के पूर्व निदेशक प्रो. एमसी मिश्रा ने ऋषिकेश एम्स में स्टाफ व आमजन के लिए हेलमेट की ​अनिवार्यता को निदेशक पद्मश्री प्रो. रवि कांत को जीवन की सुरक्षा की दृष्टि से अहम व बड़ा कदम बताया। उन्होंने कहा कि एम्स निदेशक प्रो. रवि कांत अपने सकारात्मक दृष्टिकोण व विकासोन्मुखी सोच के लिए हमेशा याद किए जाएंगे। उन्होंने अन्य एम्स के मुकाबले ऋषिकेश एम्स की प्रगति को कहीं अधिक बेहतर बताया। प्रो. मिश्रा ने बताया कि हरसाल दुनिया में सड़क दुर्घटनाओं में 4.5 लाख लोग अपनी जान गवां बैठते हैं, इनमें 15 से 20 फीसदी घायलों की कुछ समय बाद  मृत्यु हो जाती है।दुर्घटना के मामलों में अधिकांश मामले दुपहिया सवारों से जुड़े होते हैं, जो लोग हेलमेट का उपयोग करने में लापरवाही बरतते हैं। लिहाजा उन्होंने हेलमेट को दुपहिया वाहन सवारों के लिए अनिवार्य बताया। उन्होंने बताया कि देश में ट्रॉमा सिस्टम में सुधार की प्रक्रिया अत्यधिक धीमी है,इसी वजह से सड़क दुर्घटनाओं में घायल होने वाले अधिकांश लोगों की मौत हो जाती है।

बताया कि दुनियाभर में ट्रॉमा केयर पर प्रतिवर्ष 500 विलियन डॉलर खर्च होते हैं। उन्होंने बताया कि आम लोगों पर ट्रॉमा केयर का बोझ बढ़ता जा रहा है, बताया कि देश में कुल जीडीपी का 3 प्रतिशत ट्रॉमा केयर पर खर्च होता है जबकि हेल्थ केयर के लिए सरकार द्वारा किए गया बजट का प्रावधान मात्र 1.4 से 1.5 फीसदी है। ऐसे में ट्रॉमा केयर के लिए आम आदमी को ऋण का बोझ उठाना पड़ता है।

कार्यशाला में एटीएलएस विशेषज्ञ सफदरजंग हास्पिटल के डा. निक्की सभरवाल, केजीएमयू लखनऊ के प्रो. विनोद जैन, प्रो. समीर मिश्रा, दिल्ली सरकार के डा. सुनिल कुमार, एटीसीएन विशेषज्ञ पीजीआई चंडीगढ़ के डा. मंजू डंडापानी, जिपमर पांडीचेरी के डा. रवीश कुमार, एम्स दिल्ली की डा. पूनम जोशी, केजीएमयू के डा. श्रीनिवासन, महात्मा गांधी मेडिकल कॉलेज जयपुर के डा. एर्निट जॉर्ज ने ट्रॉमा लाइफ सपोर्ट पर व्याख्यानमाला प्रस्तुत की। इस कार्यशाला के आयोजन में ट्राॅमा सर्जरी विभागाध्यक्ष प्रो. मोहम्मद कमर आजम, डा. अमूल्य रतन, नर्सिंग की ओर से डा. राजेश कुमार व  मेडिकल एजुकेशन विभागाध्यक्ष प्रो. शालिनी राव की महत्वपूर्ण भूमिका रही। कार्यशाला में एमएस डा. ब्रह्मप्रकाश,  रेडियो थैरेपी विभागाध्यक्ष प्रोफेसर मनोज गुप्ता, डीन नर्सिंग प्रो. सुरेश के. शर्मा, ईएनटी विभागाध्यक्ष प्रो. सौरभ वार्ष्णेय,डा. मनु मल्होत्रा, डीन प्लानिंग प्रो. लतिका मोहन आदि मौजूद थे।

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संवाद365/हेमवती नंदन भट्ट (हेमू)

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