शिक्षकों के बिना हिंदाव के कॉलेज सूने, विद्यार्थियों का भविष्य अंधकार में 

November 16, 2019 | samvaad365

घनसाली:शिक्षकों के बिना हिंदाव के कॉलेज सूने, विद्यार्थियों का भविष्य अंधकार में
घनसाली.  हिंदाव क्षेत्र के कई विद्यालय शिक्षकों की भारी कमी से जूझ रहे हैं, जिससे यहाँ के हजारों विद्यार्थियों का भविष्य अंधकार में पढ़ गया है. यूं तो उत्तराखंड सरकार राज्य में वर्चुअल क्लास, सुगम-दुर्गम की नीति के तमाम दावे करती आई है, लेकिन टिहरी जनपद में हिंदाव के कठूड़ व मथकुड़ी स्थित विद्यालय के विद्यार्थी सभी विषयों की कक्षाओं में अध्यापक देखने को तरस गए हैं. राज्य में पर्वतीय क्षेत्रों में पलायन के नाम पर घटती छात्र संख्या के बहाने भले सरकार अपनी नाकामी छिपा रही हो, किन्तु राज्य के गढ़वाल मंडल के कई जिलों में भारी छात्र संख्या के बावजूद भी सरकार उन विद्यालयों में शिक्षक मुहैया कराने में बिफल होती जा रही है. टिहरी गढ़वाल के भिलंगना ब्लाक में हिंदाव क्षेत्र के दो प्रतिष्ठत राजकीय इंटर कालेज कठूड़ व राजकीय इंटर कालेज मथकुड़ी सैंण में शिक्षकों की भारी कमी से हजारों बच्चों का भविष्य अंधकारमय होता जा रहा है.

यहां राजकीय इंटर कालेज कठूड़ में कई पद रिक्त होने से विद्यार्थी कुछ महीने बाद आने वाली बोर्ड परीक्षाओं को लेकर चिंतित हैं. क्षेत्र के एक अन्य राजकीय इंटर कालेज मथकुड़ी सैंण में कक्षा 6 से लेकर 12वीं तक 400 से 500 के बीच छात्र-छात्राएं  अध्ययनरत हैं, जबकि प्रवक्ताओं के एक भी पद पर तैनाती नहीं है. यहाँ इंटर स्तर पर सभी पद और अन्य विषयों के भी ज्यादातर पद लम्बे अरसे से रिक्त चल रहे हैं. राजकीय इंटर कालेज मथकुड़ी को हाईस्कूल व इंटरमीडिएट में विज्ञान वर्ग की कक्षाओं के संचालन की मान्यता मिली हुई है और हाईस्कूल व इंटरमीडिएट की कक्षाओं में छात्र-छात्राओं की संख्या 100 के पार है. इतनी छात्र संख्या के बावजूद भी विज्ञान वर्ग में जीव विज्ञान, रसायन विज्ञान, भौतिक विज्ञान आदि सभी कक्षाओं के प्रवक्ता पद पर एक भी शिक्षक की नियुक्ति नहीं है. राज्य में बोर्ड की परीक्षाओं के लिये चंद महीने बाकी हैं और बिना गुरुओं की कक्षाओं में पंजीकृत विद्यार्थियों को सरकार ने उनके हाल पर छोड़ रखा है. मथकुड़ी विद्यालय में कुल एवरेज के हिसाब से देखा जाय तो रोज कुल 8 पीरियड में 7 पीरियड खाली चल रहे हैं. यही नहीं प्रशासनिक अधिकारी, क्लर्क के पद भी खाली होने के कारण जो मौजूदा शिक्षक कर्मचारी हैं, वे भी सरकारी मीटिंगों में भागदौड़ करने मजबूर हैं. क्षेत्र में शिक्षकों की कमी की बात स्थानीय जन प्रतिनिधियों के संज्ञान में होने के बावजूद भी यहां के जन प्रतिनिधि भी इन समस्याओं का ठोस निराकरण नहीं कर पाए हैं.  क्षेत्र में सभी विद्यालयों की हालत मथकुड़ी-कठूड़ जैसी ही है.

स्कूल में पीने का पानी तक नहीं

राजकीय इंटर कालेज मथकुड़ी जहां शिक्षकों की कमी से जूझ रहा है, वहीं सामान्य सुविधाओं का भी संकट झेल रहा है. विद्यालय में विद्यार्थियों के लिये नल का शुद्ध पेयजल भी नसीब नहीं है. यहां एक रूम में कुछ लीटर पानी को संग्रहित कर टैंक में भर कर रखा गया है, जिससे बच्चों की प्यास बुझाने की कोशिश शिक्षकगण कर रहे हैं. वहीं स्कूल के अगल-बगल रहने वाले कर्मचारियों की पेयजल व्यवस्था भी टप-टप टपकते प्राकृतिक स्रोत के भरोसे है. यह जल स्रोत भी सूखने की कगार पर हैं और यहां रहने वाले लोग भयंकर पानी की किल्लत से गुजर रहे हैं.

तो बोर्ड परीक्षाओं का करेंगे बहिष्कार

क्षेत्र के विद्यार्थियों के भविष्य के साथ हो रहे इस खिलवाड़ के खिलाफ यहां के प्रबुद्ध जनों के सोशल मंच “हिंदाव जन जागृति मंच” के संयोजक गोविंद आर्य ने कहा है कि हम जन प्रतिनिधियों से बार-बार निवेदन कर रहे हैं और सरकार के उचित मंचों पर मथकुड़ी व कठूड विद्यालयों में शिक्षकों की नियुक्त की मांग कर रहे हैं. अगर बोर्ड परीक्षाओं से पहले क्षेत्र के विद्यालयों में शिक्षकों की कमी दूर नहीं की गई तो सब विद्यार्थियों, क्षेत्रवासियों व अविभावकों को बोर्ड परीक्षाओं के बहिष्कार के लिये बाध्य होना पड़ेगा.

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संवाद365/गोविंद आर्य

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