हर किसी को मानव जाती के रूप में जन्म नहीं मिलता, जिसको मिलता है वह भाग्यशाली है- ऐश्वर्या बडोला

April 18, 2022 | samvaad365

संवाद 365- मानवजाती एक ऐसे मोड़ पर आ चुकी है, जहाँ से निकलना काफी मुश्किल है. खास कर  आज कल के युवा, जिनहें ANXIETY और डिप्रेशन की भरी समस्या है. WHO के एक अनुमान के मुताबिक लगभग 7.5 प्रतिशत भारतीय किसी न किसी मानसिक विकार से पीड़ित हैं. और इस 2022 के अंत तक लगभग 20 प्रतिशत भारतीय मानसिक बीमारियों से पीड़ित होंगे. आंकड़ों पर नजर डालें तो करीब 56 मिलियन भारतीय अवसाद (DIPRESSION) से पीड़ित हैं और 38 मिलियन भारतीय चिंता विकारों (anxiety disorders) से पीड़ित हैं. अधिकांश लोग दफ्तरों की समस्याओं, रिश्तों में अनबन , विभिन्न क्षेत्रों में बढ़ती प्रतिस्पर्धा के बारे में शिकायत करते हैं. लोग इन समस्याओं से निपटने में इतने व्यस्त है की वह जिंदगी की खूबसूरती को भूल चुके हैं.

इन समस्यों को छोड़ कर जीवन में कई उतार चढ़ाव है, जीवन एक बहुत खूबसूरत अनुभव है. प्रकृति में कई ऐसी चीज़े हैं जिन्हें देखकर हमें ऊर्जा और शांति का एहसास होता है. यही जीवन का खूबसूरती है | लकिन आज कल लोगों का वक्त काफी कीमती हो चूका है| जीवन जीना आसान नहीं है, लोगों की समस्याएं और चिंताएँ वास्तविक हैं. अमीर हो या गरीब हर व्यक्ति की अपनी व्यक्तिगत परेशानियां हैं. कुछ लोग इन समस्याओ के साथ साथ जीवन जीने का कारण ढूंढ लेते हैं, कुछ इन्ही में उलझे रह जाते है और कुछ लोग जीवन ही त्याग देते हैं.

ANXITY और DIPRESSION आज के शब्द नहीं है , परेशानियां तो लोगों को पहले से थी लकिन अब शारीरिक और मानसिक रूप से काफी खतरनाक रोग बनती जा रही है.

एंग्जाइटी क्या है ?

यह एक मानसिक रोग है, जिसमें  रोगी को नकारात्मक विचार आते हैं. जिस वजह से उस व्यक्ति को  बेचैनी होती है.

डिप्रेशन क्या है ?

हम सभी ने अपनी ज़िन्दगी के किसी ना किसी पड़ाव पर स्वयं को उदास और हताश महसूस किया होगा. बहुत संघर्ष करने के बाद असफलता मिलना और किसी अपने से बिछड़ जाने के कारण दुखी होना बहुत ही आम और सामान्य है. परन्तु अगर दुःख, लाचारी, निराशा जैसी भावनायें कुछ दिनों से लेकर कुछ महीनों तक बनी रहती है और व्यक्ति सामान्य रूप से अपना दिनचर्या जारी रखने में भी असमर्थ बन जाता है तो यह डिप्रेशन जैसे मानसिक रोग के संकेत हो सकते हैं.

आजकल लोग बहुत संवेदनशील हो गए हैं, उन्हें छोटी-छोटी चीज़ों का बुरा लग जाता है और वो उस पर काफी सोच विचार करने लग जाते हैं. जो की उनकी मानसिक शांति के लिए बिलकुल सही नहीं है.  आजकल लोग खुद से प्यार करना भूल गए हैं, इंटरनेट पर खुद को लोगो से compare करने लगे हैं. और सब की तरह अपनी दिखावटी जिंदगी को इंटरनेट पर शेयर करना शुरू कर रहे हैं. इस तरहवे अपनी जिंदगी की परेशानियां लोगों से छुपा तो लेते हैं लेकिन उनकी मानसिक स्तिथि उन्हें अलग ही दुनिया में ले जाती है. लोगों में आपसी प्रतियोगिता इतनी बढ़ गई है कि परीक्षा में अच्छे अंक ना आने पर या किसी से पीछे रह जाने पर लोग डिप्रेस हो जाते हैं। लोगों को खुद से ज्यादा औरों की खुशियां अच्छी लगने लगी हैं जिसके कारण उनके मन में हीन भावना आ जाती है. लोग अपनी किस्मत को कोसते हैं और दूसरों के दुखों को देख नहीं पाते हैं और न समझ पाते हैं.

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जीवन जीने की मिठास खो सी गयी है. इससे पहले कि लोग अपने खूबसूरत जीवन में गलत फैसले लेने के कारण उसको खत्म करें या उस जीवन को एक कैदखाने में रहने वाले कैदी की तरह जीवन जीते रहें, सभी लोगों को जरूरत है कि वो इन समस्याओं से निपटना सीखें। साथ ही हर व्यक्ति को जरूरत है कि उसके जीवन में एक लाइफ कोच हो जो उस व्यक्ति को हर परिस्थिति से लड़ना सिखाए.

(संवाद 365, संवाद 365)

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