एक ऐसी घटना जिस पर एक बात के लिए यकींन करना मुश्किल हो जाए लेकिन ये चौंकाने वाली घटना सच है और ये घटना हुई पंजाब के बरनाला में एक युवक के साथ। नजदीकी गांव पक्खोकलां के जिस गुरतेज सिंह को चंडीगढ़ पीजीआई के डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया था, लेकिन वह आठ घंटे बाद सही सलामत उठ खड़ा हुआ। यह देखकर मां-बाप और पारिवारिक सदस्यों के होश ही उड़ गए। इसलिए अब परिजन पीजीआई के डॉक्टरों पर कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।
बरनाला के गांव पक्खोकलां के सिंगारा सिंह के 15 साल के बेटे गुरतेज सिंह को पिछले दिनों एक आंख की रोशनी कम हो जाने के कारण बठिंडा के सिविल अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। वहां से उसे डॉक्टर ने सिर में रसौली बताकर डीएमसी लुधियाना और वहां से पीजीआई चंडीगढ़ रेफर कर दिया। 10 जनवरी को उसे चंडीगढ़ पीजीआई में दाखिल करवाया गया।
11 जनवरी को सुबह छह बजे डॉक्टरों ने गुरतेज को मृत करार दे दिया। लेकिन उन्हें बेटे का डेथ सर्टिफिकेट नहीं दिया गया। हालांकि उन्हें उन डॉक्टरों का नाम नहीं पता, जिन्होंने गुरतेज को मृत घोषित किया। पीजीआई से घर लाकर अंतिम संस्कार के लिए जब गुरतेज सिंह के कपड़े बदले जाने लगे तो पड़ोसी सतनाम सिंह को उसकी सांस चलने का आभास हुआ। इसके बाद तुरंत पास ही कैमिस्ट शॉप करने वाले एक व्यक्ति को बुलाया गया।
उसने गुरतेज सिंह को चेक किया तो बताया कि गुरतेज की सांस चल रही है और उसका ब्लड प्रेशर भी नार्मल है। इसी दौरान गुरतेज ने आंखें खोल दीं और बोलने की कोशिश की। इसके बाद परिजन गुरतेज को बरनाला सिविल अस्पताल लेकर गए। वहां ने डॉक्टरों ने उसका चेकअप कर उसे फरीदकोट के बाबा फरीद मेडिकल कॉलेज अस्पताल रेफर कर दिया।
सिंगारा सिंह और उनकी पत्नी परमजीत कौर ने बताया है कि गुरतेज सिंह उनकी इकलौती संतान है। वह खेती करते हैं। गुरतेज के इलाज पर अभी तक चार लाख रुपये खर्च आ चुका है। ग्रामीणों ने मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह से मांग की है कि इस घटना की उच्चस्तरीय जांच करवाई जाए। एक स्पेशल बोर्ड का गठन कर सारे मामले की जांच करवाई जाए।
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संवाद 365/संध्या सेमवाल