बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का नारा तब दें सरकार जब इन दो बेटियों के साथ हो न्याय

January 25, 2019 | samvaad365

बेटियों के लिए सरकारें समय-समय पर खूब मुहीम निकालती है,अभी हाल ही में राष्ट्रिय बालिका दिवस भी मनाया गया जिसमें बेटियों के लिए शी-बॉक्स और पेनिक बटन भी लांच किया गया। इसके साथ ही पक्ष-विपक्ष में बेटियों की सुरक्षा को लेकर खूब राजनीति भी होती दिखाई दी। सरकारें अपने-अपने कार्यों का बखान करके पल्ला झाड़ते नजर आते हैं, लेकिन उन बेटियों का क्या जो दो वक्त की रोटी पाने के लिए भी दर-दर भटक रही हैं। उनकी मासूम आँखें चारों ओर यही उम्मीद लिए ताकती रहती हैं के अभी उनकी मां उन्हें गोद में लेकर खाना खिलाएगी,लेकिन उन मासूमों को कौन बताए कि अब इस दुनियां में उन्हें प्यार करने वाला कोई नहीं।

हम बात कर रहे हैं जखोली ब्लाक के त्यूंखर गांव की बसु और निशा की जो पिता प्रेमु लाल को दस माह पूर्व बीमारी से हुई मौत से खो चुकी थी,तो वहीं मां सुनीता देवी पति की मौत के बाद से मानसिक तनाव से ग्रसित हो गयी जिसके चलते कुछ दिन पूर्व उसकी भी मौत हो गई। अब दोनों बेटियां अनाथ हो गई हैं। कड़ाके की ठंड में नंगे पैर ये दोनों बहनों गांव में घर-घर पर भटकने को मजबूर हैं। भले ही गांव के कुछ परिवार इन दोनों बच्चियों को सुबह और शाम को भोजन दे रहे हैं, लेकिन ये व्यवस्था कब तक चलेगी। ठंड से बच्चों के हाथ-पैर नीले हो गए हैं। उनका घर तो है लेकिन वह किसके साथ रहेंगे। सामाजिक कार्यकर्ता रामरतन सिंह पंवार ने बेटियों के संरक्षण और लालन-पालन के लिए उचित व्यवस्था की मांग की। इधर, बाल संरक्षण आयोग के सदस्य वाचस्पति सेमवाल ने बताया कि दोनों बच्चियों की देखभाल और भरण-पोषण के लिए बाल कल्याण समिति में प्रस्ताव रखा जाएगा।

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संवाद 365 /संध्या सेमवाल

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