धनोल्टी: किसान बिल के विरोध में कांग्रेस, जोत सिंह बिष्ट ने कहा किसान विरोधी है कृषि बिल

September 27, 2020 | samvaad365

धनोल्टी: देश में नए कृषि बिल को लेकर जिस प्रकार से विपक्ष ने मोदी सरकार को किसानों का विरोधी बताया है वहीं उत्तराखण्ड में भी प्रदेश कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष व पूर्व राज्य मन्त्री स्तर जोत सिंह बिष्ट ने हमारे संवाददाता सुनील सजवाण से बातचीत में बताया कि भारत सरकार के द्वारा नए कृषि बिल के तहत देश के खेत मजदूर और किसानों को गुलाम बनाने का षडयन्त्र किया जा रहा है जो कि बेहद चिंताजनक है। इन तीन किसान विरोधी बिलों के लागू होने के बाद देश का किसान, खेत मजदूर बर्बादी के कगार पर खड़ा हो जाएगा। मंडी का आढती, फुटकर व्यापारी, मंडी में काम करने वाले अलग अलग किस्म के लाखों, करोड़ों लोगों का रोजगार छीन जाएगा।

देश में मंडियों का अस्तित्व समाप्त हो जाएगा, जिसका परिणाम होगा कि किसान को अपनी फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं मिलेगा  सवाल यह है कि किसान को न्यूनतम समर्थन मूल्य देगा कौन? फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया साढ़े 15 करोड़ किसानों को खेत में जाकर न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं देगी। जोत सिहं बिष्ट का कहना है कि मंडियों से आढ़ती, मजदूर, मुनीम, ट्रांसपोर्टर, भार तोलने वाला, फसल और जमीन की सफाई करने वाला, अनेको लाखों-करोड़ों लोगों की  आजीविका चलती हैं। मंडी व्यवस्था समाप्त होने पर यह सब लोग बेरोजगार हो जाएंगे।

अब तक मंडी में किसान की फसल के कुल मूल्य का 2% पैसा राज्य सरकार को मंडी शुल्क के रूप में  FCI द्वारा दिया जाता रहा हैलेकिन जब मंडी व्यवस्था को पंगु करके खुले बाजार में बड़े अनाज व्यापारियों को छूट दी गई है तो राज्य सरकार को मिलने वाले मंडी शुल्क के नुकसान की भरपाई कौन करेगा। कृषि संबंधित यह बिल किसानों के साथ लूट को कानूनी रूप देने का काम कर रहे हैं। इस बिल में अनाज व्यापारियों की अधिकतम भंडारण सीमा में छूट दिए जाने के कारण अब जमाखोरी को बढ़ावा मिलेगा और छोटे किसानों को नुकसान उठाना पड़ेगा।

इन बिलों में न्यूनतम समर्थन मूल्य की लिखित गारंटी का न होना सरकार की किसान विरोधी मंशा को उजागर कर रहा है, प्रधानमंत्री अपनी जिद से 62 करोड़ भारतीयों को प्रभावित कर रहे हैं। प्रधानमंत्री का फैसला देश को गुलामी की तरफ धकेल रहा है। किसान विरोधी यह बिल देश में गरीबों को सस्ता राशन देने वाली सार्वजनिक वितरण प्रणाली को भी खत्म करने की साजिश है। इन बिलों में कांट्रेक्ट फार्मिंग का प्रावधान किया गया है, इसका फायदा बड़े उधोगपति को मिलेगा और छोटा किसान इसके बाद खेत के मालिक के बजाय खेत मजदूर हो जाएगा।

यही कारण है कि आज पूरे देश का किसान और किसानों के 250 से अधिक संगठन तथा कांग्रेस पार्टी आज इन जनविरोधी बिलों के खिलाफ सड़को पर संघर्ष करने के लिए मजबूर हैं। विष्ट ने बताया कि संसद में ‘असंवैधानिक’ तरीके से पारित किये गए कृषि संबंधी विधेयकों पर राष्ट्रपति जी को संस्तुति नहीं देनी चाहिए और बिना हस्ताक्षर के वापस भेजना चाहिए। जोत सिहं विष्ट ने कहा कि कांग्रेस पार्टी पूरे देश मे अपनी नेता सोनिया गांधी व राहुल गांधी जी के नेतृत्व में किसानों के हितों की रक्षा के लिए संघर्ष करते रहेंगे।

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संवाद365/सुनील सजवाण

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