सरकार और तीर्थ पुरोहितों के बीच सेतु का काम करूंगा: आचार्य ममगाईं

December 24, 2019 | samvaad365

देहरादून: उत्तराखंड के धामों और मंदिरों को देखते हुए ‘देवस्थानम् एक्ट’ को तैयार किया गया है। जिसके तहत चारों धामों और पौराणिक मंदिरों के संरक्षण व विकास के लिए कार्य किया जाएगा। वहीं प्रदेश के मुखिया त्रिवेंद्र सिंह रावत  ने स्पष्ट किया है कि इस एक्ट के प्रभावी होने से धामों और मंदिरों के पुरोहितों व सेवादारों के हक – हकूकों पर किसी भी प्रकार का प्रभाव नहीं पड़ेगा। वहीं चार धाम विकास परिषद के उपाध्यक्ष आचार्य शिव प्रसाद ममगाईं द्वारा जोगीवाला स्थित कार्यालय में प्रेस कॉन्फ्रेंस की गयी। जिसमें आचार्य ममगाईं ने कहा कि मेरे द्वारा श्राइन बोर्ड गठन किए जाने के विरोध में चार धाम विकास परिषद के उपाध्यक्ष पद से इस्तीफा मुख्यमंत्री जी को सौंपा गया था। सीएम रावत द्वारा इस आश्वासन के साथ मेरा इस्तीफा नामंजूर किया गया कि चारों धामों तथा राज्य के अन्य पौराणिक मंदिरों के हक- हकूकधारियों के हक पूर्ववत सुरक्षित रखे जाएंगे।

मैंने पुनः उपाध्यक्ष चार धाम विकास परिषद का पद संभाला है। मैं राज्य सरकार तथा चारों धामों व मंदिरों के पुरोहितों/ पुजारियों के मध्य सामंजस्य बनाए रखने में सेतु का कार्य करूंगा। इसके बाद आचार्य  ममगाईं ने आगे कहा कि राज्य सरकार और मुख्य रूप से मुख्यमंत्री रावत द्वारा सभी तीर्थ पुरोहितों एवं हक -हकूकधारियों का आह्वान किया गया है कि वे विरोध प्रदर्शनों का रास्ता छोड़कर संवाद के लिए आगे आयें। संवाद का रास्ता हमेशा खुला है। सभी हक हकूकधारियों को मैं सूचित कर रहा हूं कि मुझे चार धाम विकास परिषद का उपाध्यक्ष रहते हुए जिम्मेदारी दी गई है कि मैं आप सभी से विचार-विमर्श कर शासन व सरकार को आपके विचारों से अवगत कराऊं। मैं पूरी जिम्मेदारी के साथ अपनी सक्रिय भूमिका निभाऊंगा। आचार्य ममगाईं ने बताया कि वे  स्वयं ही धर्म से जुड़े हुए  और धर्म रक्षा के लिए निरंतर प्रयासरत हैं। अतः वे राजनीतिक नहीं बल्कि धर्म की बात करेंगे।

आचार्य ममगाईं ने कहा कि हमारा  प्रयास होगा कि चारों धामों में पूजा पद्धति तथा प्रबंधन हेतू आदि गुरु शंकराचार्य द्वारा और उससे भी पूर्व स्थानीय पंडा/ पुरोहितों द्वारा स्थापित व्यवस्थाओं और परंपराओं को अक्षुण्ण रखा जाए। वर्तमान में सरकार द्वारा तैयार किया गया एक्ट मंदिरों के विकास को दृष्टिगत रखते हुए तैयार किया गया है। इसका उद्देश्य किसी भी प्रकार से हमारी पूजा पद्धति अथवा परंपराओं से छेड़छाड़ करना एवं किसी के हक हकूक छीनना नहीं है। यदि हम और आप आगे बढ़ कर आपस में संवाद करें तथा सरकार/शासन द्वारा तैयार किए जा रहे देवस्थानम मसौदा को पढ़ें और समझें एवं इसे तैयार करने में अपनी भूमिका निभाएं तो यह कारगर पहल होगी। दूरी बढ़ाकर और आंदोलन/विरोध प्रदर्शन करके समस्या का समाधान संभव नहीं है। उन्होंने चारों धामों के हक हकूकधारियो व तीर्थपुरोहितों को कहा कि अगर स्थानीय पुरोहितों की बातें देशहित, समाजहित और यात्रीहित में हो तो सब की सब मानी जाएंगी।  उन्होंने कहा कि संवाद के लिए सदैव चार धाम विकास परिषद के द्वार खुले हैं और सकारात्मक संवाद हेतु मैं आप तीर्थ पुरोहितों, पुजारियों, हक- हकूकधारियों का ह्रदय से आह्वान करता हूं।

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