”यदि आपने जीवित एवं चलते फिरते गांधी को देखना है तो आप उत्तराखंड की धरती पर चले जाएं… वहां आज भी गांधी अपने उसी अहिंसक अंदाज में विराट जनआंदोलनों का नेतृत्व कर रहा है…”
– बीबीसी
आज उत्तराखंड के गांधी इंद्रमणि बडोनी का जन्मदिन है. इन्द्रमणि बडोनी का जन्म आज ही के दिन यानी कि 24 दिसंबर 1925 को हुआ था. जन्मस्थान था तत्कालीन टिहरी रियासत का जखोली ब्लाॅक और गांव था अखोड़ी. इंद्रमणि बडोनी मल्टीटैलेंटेड शख्सियत थे. एक आंदोलनकारी… एक संस्कृतिकर्मी… एक खिलाड़ी कुशल नेता हर गुण बडोनी जी के अंदर समाया था. उन्हें याद करते हुए नजर डालते हैं उनके जीवन पर.
नाम – इंद्रमणि बडोनी
जन्म- 24 दिसंबर 1925, गांव अखोड़ी, ब्लाॅक जखोली टिहरी रियासत
पिता का नाम- पं. सुरेशानंद बडोनी
प्रारंभिक शिक्षा- गांव में, माध्यमिक और उच्च शिक्षा नैनीताल व देहरादून
स्नातक- डीएवी काॅलेज देहरादून
विवाह- 19 वर्ष में सुरजी देवी के साथ हुआ
आजीविका की तलाश में मुंबई चले गए लेकिन खराब स्वास्थ्य के चलते वापस लौटना पड़ा
जखोली और अखोड़ी को कर्मभूमि बनाया
राजनीतिक जीवन – 1961 में ग्राम प्रधान और फिर जखोली के ब्लाॅक प्रमुख
यूपी विधानसभा में तीन बार देवप्रयाग का प्रतिनिधित्व किया
1977 विधानसभा चुनाव में निर्दलीय लड़े और कांग्रेस एवं जनता पार्टी के प्रत्याशियों की जमानत जब्त करवाई
पर्वतीय विकास परिषद के उपाध्यक्ष भी रहे
सहस्त्रताल, पंवालीकांठा और खतलिंग ग्लेशियर की यात्राएं सर्वप्रथम शुरू करवाई
दिल्ली मुंबई में माधो सिंह भंडारी की लोक गाथाओं का मंचन करवाया
पांडव नृत्य के मंचन से पंडित नेहरू को भाव विभोर किया
1994 राज्य आंदोलन के सूत्रधार बने
2 अगस्त 1994 को पौड़ी में आमरण अनशन शुरू किया
1988 में तवाघाट से देहरादून तक 2000 किमी पैदल जनसंपर्क किया
18 अगस्त 1999 को उत्तराखंड के गांधी ने अंतिम सांस ली
(संवाद 365/ डेस्क)
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