वनवासियों के हक हकूक के लिए जारी है किशोर की लड़ाई

November 19, 2019 | samvaad365

देहरादून: लंबे समय से उत्तराखंड वासियों के परंपरागत हक हकूक और वनवासी घोषित करने के लिए कानूनी लड़ाई लड़ रहे पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने एक बार फिर से वन अधिकार कानून के तहत मुद्दा उठाया. किशोर उपाध्याय का कहना है कि 2017 से फरवरी 2019 तक केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट में वन अधिकार कानून के खिलाफ चल रही याचिका में खामोश साबित हो रही है. जिससे कोर्ट में याचिकाकर्ताओं के झूठ का जवाब देने के लिए कोई भी आवाज नहीं उठाई गई है. लिहाजा आज कोर्ट ने लाखों परिवारों को बेदखल करने का आदेश दे दिया है. इससे उत्तराखंड में सैकड़ों परिवार बेदखल होने के खतरे में है. किशोर उपाध्याय का कहना है कि वन अधिकार आंदोलन के तहत बिजली मुफ्त होनी चाहिए. साथ ही घर बनाने में इस्तेमाल होने वाली लकड़ी भी मुफ्त मिलनी चाहिए. इसके अलावा जंगली जानवरों का शिकार होने वाले लोगों को 25 लाख मुआवजा और एक व्यक्ति को पक्की नौकरी मिलनी चाहिए. किसानों की फसल को 15 सौ रुपए प्रति फसल क्षतिपूर्ति का मुआवजा मिलना चाहिए.

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संवाद365/किशोर रावत

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