पवित्र कैलास के भारतीय क्षेत्र वाले 7120 वर्ग किलोमीटर हिस्से को राष्ट्रीय धरोहर बनाने के लिए संस्कृति मंत्रालय ने इस संबंध में भारतीय वन्यजीव संस्थान (डब्ल्यूआइआइ) के प्रस्ताव पर मुहर लगा दी है इससे भारत, चीन व नेपाल के संयुक्त कैलास भूक्षेत्र को विश्व धरोहर का दर्जा दिलाने की तरफ भी कदम बढ़ा दिया गया है।
पवित्र कैलास भूक्षेत्र की प्राकृतिक व सांस्कृतिक विविधता और इसमें आ रहे बदलाव को लेकर उत्तराखंड अंतरिक्ष उपयोग केंद्र (यूसैक) ने 14 सेटेलाइट मैप तैयार किए हैं। इसमें समाहित तथ्यों के आधार पर डब्ल्यूआइआइ को बेहतर प्रस्ताव बनाने में खासी मदद मिली।
नेपाल की अंतरराष्ट्रीय संस्था इसी मोड के माध्यम से तीनों देशों में पवित्र कैलास के 31 हजार 252 वर्ग किलोमीटर भूक्षेत्र को यूनेस्को संरक्षित विश्व धरोहर बनाने के प्रयास किए जा रहे हैं। इस संबंध में तय किया गया है कि कैलास क्षेत्र को सांस्कृतिक व प्राकृतिक (मिश्रित) विश्व धरोहर का दर्जा दिया जाना चाहिए। इस दिशा में चीन ने सबसे पहले कदम बढ़ाते हुए अपने हिस्से वाले भूक्षेत्र को राष्ट्रीय धरोहर घोषित कर दिया है। जबकि अब भारत के संस्कृति मंत्रालय ने भी प्रयास तेज करते हुए परियोजना से जुड़ी एजेंसियों की बैठक बुलाई।
बैठक से शिरकत कर लौटे भारतीय वन्यजीव संस्थान के निदेशक डॉ. वीबी माथुर ने बताया कि मंत्रालय ने प्रस्ताव पर अपनी सहमति दे दी है। पवित्र कैलास भूक्षेत्र का प्रमुख हिस्सा उत्तराखंड में है, लिहाजा तय किया गया है कि सरकार से औपचारिक सहमति ली जाएगी। इसको लेकर मंत्रालय उत्तराखंड सरकार को पत्र भेजेगा और फिर फरवरी में दोबारा बैठक बुलाकर प्रस्ताव पर अंतिम मुहर लगाएगा।
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देहरादून/संध्या सेमवाल