आठ दिन से चल रहा आमरण अनशन समाप्त, पत्रकारों की हुई जीत

August 2, 2019 | samvaad365

देहरादून: आठ दिनों से सूचना विभाग और प्रदेश सरकार के खिलाफ आमरण अनशन पर बैठे पत्रकारों की बड़ी जीत हुई है। शुक्रवार को सूचना विभाग और प्रदेश सरकार ने आंदोलनरत पत्रकारों की सभी मांगे मान ली हैं, जिसके बाद पत्रकारों ने अपना आंदोलन समाप्त कर दिया। दरअसल, सरकार द्वारा पत्रकारों के खिलाफ चलाई जा रही दमनकारी नीति के विरोध में पिछले शुक्रवार से मांगों को लेकर संजीव पंत ने आमरण अनशन शुरु किया था, वहीं पत्रकारों की मांगें मान लिए जाने के बाद अपर निदेशक सूचना डा. अनिल चंदोला ने संजीव पंत को जूस पिलाकर उनका आमरण अनशन समाप्त करवाया। आपको बता दें कि गुरुवार शाम को पत्रकारों ने शाम 7.00 बजे देहरादून के गांधी पार्क से घंटाघर स्थित उत्तराखंड आंदोलनकारी स्वर्गीय इंद्रमणि बडोनी की प्रतिमा स्थल तक मशाल जुलूस निकाला था। पत्रकार अपने हाथों में मशाल और नारों की तख्तियां उठाए हुए थे। जिसमें प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक तथा वेब मीडिया से जुड़े लगभग 70 से अधिक पत्रकारों ने दो-दो पंक्तियों में नारेबाजी करते हुए जुलूस शुरू किया था। इसी का असर था कि सरकार और विभाग को पत्रकारों की मांगे मानने पर विवश होना पड़ा।

बता दें कि मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन में कहा गया है कि विज्ञापन नियमावली 2016 में उल्लेखित किए गए विज्ञापनों में से अमर बलिदानी श्रीदेव सुमन जयंती पर विज्ञापन रोके जाने पर तत्काल खेद जताया जाए तथा भविष्य में ऐसी मनमानी न करने का संकल्प प्रदर्शित किया जाए। पिछले पांच वर्ष से रुकी हुई अखबारों की सूचीबद्धता की कार्यवाही शुरू की जाए तथा जब तक नई नियमावली बन रही है तब तक पुरानी नियमावली के अनुसार ही पिछले चार वर्ष से रोके गए अखबारों के लिए विज्ञापन जारी किए जाएं। वेब मीडिया की सूचीबद्धता के लिए नियमावली के अनुसार हर छह महीने में एक बार एंपैनलमेंट किया जाए। सूचीबद्धता के बाद दी जाने वाली धरोहर राशि की बाध्यता को समाप्त किया जाए। केंद्र सरकार वेब मीडिया पर जीएसटी की दर को कम अथवा खत्म किया जाए।

वहीं वेब पोर्टल चला रहे मीडिया प्रतिनिधियों को भी मान्यता दिलाए जाने के मानक बनाए जाने की मांग भी की गई। उत्तराखंड लोक संपर्क विभाग देहरादून में पत्रकारों के कल्याण योजना एवं पेंशन योजना से संबंधित 43 प्रकरण अभी तक लंबित है उनका फौरन निस्तारण किया जाए। ज्ञापन में कहा गया कि राज्य हर हफ्ते बाजार से करोड़ों रुपए कर्ज उठा रहा है इसलिए मितव्ययिता को ध्यान में रखते हुए अन्य राज्यों की पत्र-पत्रिकाओं को भी विज्ञापन दिया जाना तत्काल प्रभाव से रोका जाए। उत्तराखंड के वेब पोर्टलों को विज्ञापन देने के बजाय सीधे गूगल को विज्ञापन दिए जाने पर तत्काल रोक लगाई जाए। ज्ञापन देने वालों में प्रेस क्लब के अध्यक्ष केवल बत्रा, राजकुमार फुटेला, परमजीत पम्मी, भारत शाह, अनिल चौहान, फणींद्र नाथ गुप्ता, अजय चड्ढा. विकास कुमार, शुभोधुति मंडल, अशोक कुमार, मनोज आदि शामिल थे।

ज्ञापन में ये थी जरूरी बातें

प्रिय महोदय विगत 1 सप्ताह से पत्रकारों के दमन के खिलाफ देहरादून में उत्तराखंड पत्रकार संयुक्त संघर्ष मोर्चा के बैनर तले प्रिंट इलेक्ट्रॉनिक तथा वेब मीडिया की पत्रकार लोकतांत्रिक तरीके से धरने पर बैठे हैं तत्काल हमारी मांग को पूरा किया जाए ताकि उत्तराखंड की पत्रकार बिरादरी के साथ न्याय हो सके। हमारी प्रमुख मांग अग्रलिखित हैं।

1-विज्ञापन नियमावली 2016 उल्लेखित किए गए विज्ञापनों मे से अमर बलिदानी श्री देव सुमन जयंती के अवसर पर होने वाले विज्ञापन को रोके जाने पर तत्काल खेद व्यक्त किया जाए।तथा आइंदा ऐसी मनमानी न किए जाने को लेकर संकल्प प्रदर्शित किया जाए।

2- पिछले 5 वर्ष से रुकी हुई अखबारों की सूचीबद्धता की कार्यवाही शुरू की जाए। तथा जब तक नई नियमावली बन रही है तब तक पुरानी नियमावली के अनुसार ही पिछले 4 वर्ष से रोके गए अखबारों को विज्ञापन जारी किए जाएं।

3- वेब मीडिया की सूचीबद्वता के लिये नियमावली के अनुसार हर छह महीने मे एक बार एंपैनलमेंट किया जाये।

4- सूचीबद्वता के बाद दी जाने वाली धरोहर राशि की बाध्यता को समाप्त किया जाये।

5- केन्द्र सरकार वेब मीडिया में जीएसटी की दर को कम करे या खत्म करे। प्रिंट मीडिया की तरह जीएसटी पर कम शुल्क लगाया जाये।

6- वेब पोर्टल में कार्यरत मीडिया प्रतिनिधियों को भी मान्यता दिलाने के लिये मानक बनाये जायें तथा वेब मीडिया में कार्यरत ​मीडिया कर्मियों को जिला स्तर की मान्यता दी जाए।

7- क्योंकि विगत 2 साल से नई न्यूज पोर्टल का इंपैनलमेंट नहीं किया गया है तथा 8 महीने से एक भी विज्ञापन नहीं दिया गया है इसलिए पिछले 6 माह से जितने भी न्यूज पोर्टल न्यूनतम यूजर्स का मानक पूरा करते हैं उन सभी को ए बी सी के अनुसार विज्ञापन जारी किया जाए।

8- उत्तराखंड लोक संपर्क विभाग देहरादून में पत्रकारों के कल्याण योजना तथा पेंशन योजना से संबंधित 43 प्रकरण अभी तक लंबित हैं उनका तत्काल निस्तारण किया जाए।

9- हमारा राज्य हर हफ्ते बाजार से करोडों रुपये कर्ज उठा रहा है, इसलिए मितव्ययिता को ध्यान में रखते हुए अन्य राज्यों की पत्र-पत्रिकाओं को विज्ञापन दिया जाना तत्काल प्रभाव से बंद किया जाए।

10- उत्तराखंड के वेब पोर्टलों को विज्ञापन देने के बजाय सीधे गूगल को विज्ञापन दिए जाने पर तत्काल रोक लगाई जाए।

11- पर्वतीय जनपदों में नेट कनेक्टिविटी समस्या को देखते हुए वहां से संचालित वेब पोर्टलों को विज्ञापन मानकों में शिथिलता प्रदान की जाए।

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