घनसाली : खूबसूरत बुग्याल के बीच टिहरी का बटपुड़ भैरव मेला सरकार के विकास का कर रहा इंतजार

September 10, 2021 | samvaad365

मेले और त्योहार एक-दूसरे से मिलने के अवसर होते है । प्राचीन समय में, जब संचार और परिवहन की कोई ऐसी सुविधाएं नहीं थीं, तो इन मेलों और त्यौहारों ने रिश्तेदारों और दूर दूर भौगोलिक स्थानों पर रहने वालों के साथ मुलाकात जेसे सामाजिक सम्मेलन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है । इन आयोजनों के पीछे धार्मिक महत्व और सामाजिक संदेश जेसे सामाजिक महत्व होते है। इस क्षेत्र के अधिकांश त्योहार पौराणिक परंपराओं पर आधारित हैं। हम बात कर रहे हैं बटपुड़ मेले की जो प्राकृतिक के सबसे करीब और खूबसूरत मखमली बुग्यालों के बीच हर तीसरे वर्ष लगता है।यहां पर प्राचीन भैरव मंदिर है । भैरव को यहां पर इन खूबसूरत जंगलों और बुग्यालों का राजा भी माना जाता है।
वहीं अगर बात करें बटपुड़ की तो यह स्थान टिहरी जनपद के बालगंगा तहसील के अंतर्गत बालगंगा और भिलंगना रेंज में आता जिसमें दूर दराज से लोग इस मेले में आते हैं।लोग मेले में भैरव देवता के दर्शन के बाद यहां पर लगी दुकानों से खरीददारी करके जलेबी पकोड़ी का भी लुत्फ उठाते हैं और अपनों से मेल मिलाप के साथ साथ प्राकृति को भी करीब से निहारते हैं।

यहां पर और भी कही सारे मखमली बुग्याल है जैसे, भंडारग्वाड ( दांतअखोड़) मौन, देवतासौड़, पौली, आदि कई सारे बुग्याल है ।कुछ पर्यटक यहां से सहस्त्र ताल की तरफ भी जाते हैं । लेकिन इस ट्रेक पर उचित व्यवस्था ना होने से यहां पर बाहरी पर्यटक इस रास्ते का प्रयोग कम ही करते हैं।वहीं कुछ स्थानीय लोगों का कहना है कि सरकार को इस खूबसूरत जगह को संवारना चाहिए जिस कारण यहां स्थानीय लोगों को भी रोजगार मिल सकता है ।देहरादून से आये पर्यटक और समाजसेवी विजय कुमार नौटियाल का कहना है यहां के स्थानीय प्रतिनिधियों को सरकार तक जनता की आवाज़ पहुंचाई जानी चाहिए और इस खूबसूरत जगह को विकसित किया जाना चाहिए ताकि यहां पर और अधिक पर्यटक और रोजगार जुड़ सके ।

मंदिर समिति के अध्यक्ष दिनेश व्यास का भी यही कहना है यहां पर हजारों की संख्या में लोग आते हैं लेकिन यहां पर मूलभूत सुविधाएं ना होने से लोग मायूस हो कर चले जाते हैं।यह एक ख़ूबसूरत स्थान है और सरकार को इसे संवारना चाहिए। कांग्रेस नेता दिनेश लाल आर्य का कहना है कि आज तक जितनी भी सरकारें बनी है किसी ने भी इस और ध्यान नहीं दिया, जबकि सरकार पलायन और बेरोज़गारी रोकने की बात करती है लेकिन इस तरह के खूबसूरत पर्यटन स्थलों को सरकार आज तक चिन्हित नहीं कर पाई है और ना ही इन पर्यटन स्थलों तक विकास पहुंच पाया है । आपको बता दें कि यह स्थान समुद्र तल से 2292 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यहां पर 6 महीने तक स्थानीय लोग अपने पशुओं को चुगान के लिए लाते हैं जबकि सर्दियों में यहां पर बर्फबारी भी काफी समय तक होती रहती है ।आखिर देखने वाली बात है कि अगर सरकार वास्तव में स्वरोजगार और पलायन रोकने की बात कर रही है तो फिर इस तरह के खूबसूरत स्थलों कब तक संवारेगी यहां सड़क और पानी कब तक पहुंचाएगी।

संवाद365, पंकज भट्ट 

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