हरिद्वार: गहराता जा रहा है आचार्य महामण्डलेशवर के पट्टाभिषेक पर विवाद

January 12, 2021 | samvaad365

आचार्य महामण्डलेशवर के पट्टाभिषेक पर विवाद धर्मनगरी में गहराता जा रहा है, एक तरफ अखिल भारतीय अखाडा परिषद के अध्य्क्ष नरेन्द्र गिरी सहित कई महाराज कैलाशानंद गिरी के पक्ष में आ गए हैं. वहीं प्रज्ञानंद आचार्य महामंडेश्वर मामले को न्यायालय में देखने की बात कर रहें हैं.

आप को बता दें की 14 जनवरी को हरिद्वार के निरंजनी अखाड़े में होने वाले पट्टाभिषेक मामले ने नया मोड़ आ गया है, पट्टाभिषेक से पहले निरंजनी अखाड़े के अध्यक्ष नरेंद्र गिरी महाराज ने स्वीकार कर लिया कि 2019 में उन्होंने प्रज्ञानानंद महाराज को निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर पद पर पट्टा विशेष किया था. लेकिन सोमवार सुबह 11 बजे उन्हें इस पद से हटाने के साथ ही आचार्य महामंडलेश्वर पद से हटा दिया. लेकिन उनके इस बयान से ये साफ हो गया है कि प्रज्ञानानंद महाराज निरंजनी अखाड़े के महामंडलेश्वर पद पर तैनात हैं.

आपको बता दे कि 14 जनवरी को दक्षिण काली पीठाधीश्वर कैलाशानंद ब्रह्मचारी महाराज का निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर पद पर पट्टा अभिषेक किया जाना है. लेकिन उससे पहले प्रज्ञानानंद महाराज सामने आए गए हैं और उन्होंने खुद को निरंजनी अखाड़े का आचार्य महामंडलेश्वर पद बताते हुए इस पट्टा अभिषेक को नियमो के विरुद्ध बताया,उन्होंने इस मामले को कोर्ट में चुनौती देने तक की बात कही कही. लेकिन निरंजनी अखाड़े के अध्यक्ष नरेंद्र गिरी महाराज ने सोमवार को 11 बजे प्रज्ञानानंद महाराज को अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर पद से हटाते हुए उन्हें अखाड़े से भी निष्काषित कर दिया.

नरेंद्र गिरी महाराज ने कहा कि प्रज्ञानानंद आचार्य महामंडलेश्वर बनने के बाद निरंजनी अखाड़े में ही नहीं आये और ना ही अखाड़े के किसी संत से मिले, उन्होंने ये भी कहा कि प्रज्ञानानंद इस पद के लिए अयोग्य है उन्होंने अखाड़े की परंपराओं के विरुद्ध अखाड़े की छवि को खराब किया है, उन्हें ये पद सौंपने की उनसे सबसे बड़ी गलती हुई है,इसलिए उन्हें अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर पद से हटाने के साथ ही अखाड़े से भी निष्काषित किया जा रहा है,वहीं प्रज्ञानंद महाराज ने इस मामले से अनभिग्यता जताई है उन्होंने  नरेंद्र गिरी महाराज पर पलटवार करते हुए कहा कि उन्हें अपने निष्कासन का कोई लिखित पत्र नही है, नरेंद्र गिरी महाराज ने उन्हें निष्कासन का लिखित कारण बताएं, नरेंद्र गिरी महाराज इससे पहले तो उन्हें आचार्य महामंडलेश्वर मानने को तैयार ही नही थे,उनको हटाये बिना उस पद पर किसी अन्य व्यक्ति की नियुक्ति नियमो के विरुद्ध है,वो कानूनी प्रकिया का सहारा लेंगे और साधु संतों के सामने भी इस मामले को उठायेंगे.

वह अब सवाल उठ रहे हैं कि जब किसी पद पर पहले से ही कोई संत नियुक्त है तो फिर कैसे उसी पद पर दुसरे संत को नियुक्त किया जा सकता है.

(संवाद 365/नरेश तोमर)

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