जौंसार : कई साल पहले आई भयंकर बीमारी, भक्तों ने मां को पुकारा, मां ने भक्तों की रक्षा के लिए पत्थर की शिला पर लिया अवतार

October 28, 2021 | samvaad365

उत्तराखंड भारत का एक ऐसा राज्य जिसे आज पूरे विश्व में देवभूमि के नाम से जाना जाता है । देवभूमि इसलिए क्योंकि यहाँ देवो का वास है ।उत्तराखंड का इतिहास और इसकी प्राचीनता के कई उल्लेख है । अगर आस्था की बात करे तो यहाँ मौजूद हर मंदिर किसी न किसी प्रकार से पूर्व में बीते कथाओ से अपने अस्तित्व की डोर से आज भी भूत से वर्तमान की डोर को जोड़ता है ।  पर आज हम आपको एक ऐसे रोचक कथा और उसमें मौजूद मंदिर के बारे में बताएंगे जिसके बारे में आप ने पहले कभी नहीं सुना होगा ।  कहा जाता है जब जब संकट के बादल माता के भक्तों पर मंडराए माता ने वितरित होकर उस कष्ट को दूर किया ।उत्तराखंड में एक ऐसा ही मंदिर और उससे जुड़ी कुछ रोचक बातें यहां के स्थानीय लोगो द्वरा बताई जाती हैं । तो चलिए सीधा ले चलते हैं कालसी ब्लॉक के ग्राम पंचायत बजऊ में जहां कहीं दशक पूर्व एक बिमारी आई थी जिसमें कहीं लोगो की मृत्यु हुई , जिसको रोकने के लिए ग्रामीणों ने देवी देवताओं को पुकारा था बताया जाता है कि उस दौरान मां काली गांव में एक पत्थर की शिला पर मुरत के रूप में प्रकट हुई थीं और गांव के लोगों की रक्षा की ।बताया जाता है कि उसके बाद गांव में मां काली हर विपत्ति को दुर करती आ रही है ।

मां काली का बना पुराने जीर्ण-शीर्ण हुए मंदिर का पुन निर्माण इस वर्ष किया गया । नए मंदिर बनने पर प्राण प्रतिष्ठा के लिए माता की डोली को 80 वर्ष बाद कारसेवकों द्वारा अक्टूबर की 22 तारिक को पहला स्नान मां यमुना उसके बाद हर की पौड़ी हरिद्वार कराया गया और रात्रि विश्राम तथा रात्रि भोज के लिए माता की डोली के साथ कार सेवक बाढ़वाला पहुंचे तथा अगले दिन 23 अक्टूबर शाही स्नान सिद्धपीठ श्री महासू महाराज मंदिर हनोल में विधिविधान से करवा कर रात्रि विश्राम के लिए कारसेवक माता की डोली लेकर रामताल गार्डन पहुंचे । उसके अगले दिन 24 अक्टूबर को प्रातः 10 बजे माता की डोली के साथ गाजे बाजे की थाप पर ग्रामीणों ने गांव के लिए प्रस्थान किया और गांव में एक भव्य जागरण का आयोजन किया गया । भक्तों ने मां काली की डोली के आगे मत्था टेका , और उसके बाद माता की डोली विधिविधान से अपने नवनिर्मित मंदिर में विराजमान हुई ।

संवाद365,राहुल चौहान 

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