मिनी स्विट्जरलैंड के नाम से विख्यात चोपता दुगलविट्टा की वादियां इन दिनों पर्यटकों और तीर्थाटनों से गुलजार हो रखी है। पर्यटक इन दिनों बर्फबारी का जमकर लुत्फ उठा रहे हैं। यूँ तो देवभूमि उत्तराखण्ड को प्रकृति ने बड़ी शिदद से सजाया संवारा है। यहां की ऊँची-नीची घाटियां और हरे घास के बुग्याल हर किसी का मन मोह लेते हैं।
रूद्रप्रयाग जनपद में ग्यारवें ज्योतिर्लिंग भगवान केदारनाथ, तुगनाथ और मद्दमहेश्वर की ग्रीष्मकालीन यात्रा के बाद अब यहां शीतकालीन यात्रा भी उम्मीदों के पंख लगने लगे हैं। पर्यटक प्रकृति के अनुपम छठा के दीदार करने भारी संख्या में यहां पहुँच रहे हैं। नये साल के आगमन पर प्रकृति ने भी अतिथियों के स्वागत के लिए रुद्रप्रयाग जनपद के ऊंचाई वाले कई पर्यटक स्थलों को बर्फ की सफेद चादर से ढक दिया था। यही कारण है कि इन दिनों यहां देश-विदेश के सैलानी यहां पहुँच रहे हैं और प्राकृतिक सौन्दर्य का आनंद ले रहे हैं।
शीतकालीन पर्यटक को विकसित कर स्थानीय स्तर पर रोजगार को बढ़ाने के भले ही सरकारे दम भर ही हो लेकिन स्थिति यह कि इन पर्यटक स्थल सेंचुरी एरिया होने के कारण यहां टेंट लगाने तक की अनुमति नहीं हैं। ऐसे में पर्यटकों को यहां रहने-खाने के लिए भी भारी संघर्ष करना पड़ रहा है। जबकि बर्फबारी के बाद कई दिनों तक सड़क मार्ग साफ न होने से पर्यटक जहाँ-तहां फंसे रहते हैं।
एक तरफ सरकारें पर्यटन से रोजगार जोड़ने के दावे तो कर रही है लेकिन आज भी जनपद के बधाणी ताल, पाॅवालियां काठा, चिरबटिया, देवरियाताल, कार्तिक स्वामी धाम, कालशीला जैसे पर्यटक स्थलों तक देश-दुनियां के पर्यटकों की पहुंच से कोसों दूर हैं। इन रमणीय और खूबसूरत पर्यटक स्थलों का प्रचार-प्रचार और आगमन की समुचित सुविधा न होने के कारण ये भारी उपेक्षा का दंश झेल रहे है। सरकार को चाहिए कि वे इन स्थानों तक आधारभूत सुविधायें विकसित कर उन्हें पर्यटक मानचित्र में स्थान दे।
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रुद्रप्रयाग/कुलदीप राणा