नवरात्रि स्पेशल : दून में है 200 साल पुराना देवी मंदिर डाट काली, जाने देवी काली के आगे लगने वाला डाट का राज

October 8, 2021 | samvaad365

देवों की भूमि उत्तराखंड जहां कण कण में भगवान विराजते हैं । उत्तराखंड भी वो राज्य है जहां माता सती के कई अंश गिरें और जहां जहां अंश गिरे वहां वहां देवी के  सिद्धपीठ है । उन्हीं सिद्धपीठों में एक डाट काली माता का मंदिर भी है जो की देहरादून से 14 किलोमीटर दूर उत्तरप्रदेश और उत्तराखंड की सीमा में मौजूद है । माता के मंदिर के आगे लगने वाले डाट की अनोखी पौराणिक कहानी है । चलिए बताते हैं आपको डाट काली मंदिर का इतिहास

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कहा जाता है कि अंग्रेज जब दून घाटी में आ रहे थे तो यहां प्रवेश करने के लिए उन्हें सुरंग बनाने की जरूरत पड़ी। अंग्रेजों ने यहां सुरंग बनाना शुरू कर दिया, इसी दौरान खुदाई करते वक्त मजदूरों को यहां से मां काली की मूर्ति मिली। मूर्ति निकलने के बाद जब अंग्रेज सुरंग निर्माण का काम करा रहे थे तो ये काम आगे नहीं बढ़ पाया। दरअसल मजदूर पूरा दिन खुदाई करने के बाद जब सो जाया करते थे तो सुबह उन्हें वो काम फिर से अधूरा मिलता था। कुल मिलाकर काम में लगातार अड़चनें आ रही थीं। मान्यता है कि एक रात मां काली ने एक अंग्रेज इंजीनियर को सपने में दर्शन दिए और उससे मंदिर बनाने को कहा। इसके बाद सुरंग के पास ही  13 जून 1804 ई को मंदिर बनाया गया और वहां मां काली की मूर्ति स्थापना की। तब कहीं जाकर सुरंग बन पाई। गढ़वाली भाषा मे सुरंग को डाट कहते हैं, यही वजह है कि इस मंदिर का नाम डाट काली पड़ा ।

नवरात्रि में रहती है खासा भीड़

मां डाट काली मंदिर में नवरात्रि में भक्तों की खासा भीड़ देखने को मिलती है । भक्त दूर -दूर से डाट काली के दर्शन करने आते हैं । कहा जाता है कि मां डाट काली मंदिर में आने वाले सभी भक्तों की मुरादें पूरी होती है ।

संवाद365,रेनू उप्रेती 

 

 

 

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