अब इधर-उधर बिखरे कूड़े से निजात मिल पाएगी क्योंकि घरों से निकलने वाला कूड़े का भी इस्तेमाल हो सकेगा। जी हां कूड़े से गोबर गैस, कंपोस्ट खाद और प्लास्टिक की टाइल्स बनेंगी। इससे महिलाओं को स्वरोजगार मिलेगा और गांव भी स्वच्छ और सुंदर होंगे।
स्वच्छ भारत अभियान (ग्रामीण) के तहत जिले में 309 ग्राम पंचायतों में से 143 गांवों का स्वजल परियोजना के तहत चयन किया गया है। इनमें कूड़ा पृथकीकरण केंद्र (सेग्रीकेशन सेंटर) स्थापित किए जा रहे हैं। किच्छा के लालपुर में मॉडल के तौर पर पांच लाख रुपये की लागत से टाइल्स मेकिंग मशीन लगेगी। इसके लिए ग्रामीण विकास संस्थान (यूआईआरडी) के तहत सेग्रीकेशन सेंटर तैयार किया जा रहा है।
इन गांवों की डीपीआर तैयार होने के साथ ही 40 गांवों के लिए धन आवंटित हो गया है। इन गांवों में स्थापित होने वाले कूड़ा पृथकीकरण केंद्रों पर कूड़े से निकलने वाले तरल व ठोस अपशिष्टों को छांटा जाएगा। कूड़े में से जो प्लास्टिक निकलेगा, उससे प्लास्टिक टाइल्स का निर्माण होगा। उक्त 143 गांवों में प्लास्टिक टाइल्स मेकिंग मशीनें लगाई जाएंगी। प्लांट से गांव की महिलाओं को जोड़ा जाएगा। ग्राम प्रधान विकास कार्यों के लिए महिलाओं की बनाई टाइल्स खरीदेंगे।