पितृपक्ष श्राद्ध का आरंभ, 6 अक्तूबर को अमावस्या श्राद्ध के साथ होगा पितृ विसर्जन

September 20, 2021 | samvaad365

पितृ पक्ष आज से शुरू हो गया है । श्राद्ध हर साल आश्विन कृष्ण पक्ष प्रतिपदा से आरंभ होता है और अमावस्या तिथि तक रहता है। पितृ पक्ष श्राद्ध को शास्त्रों में पितरों के प्रति सम्मान और श्रद्धा प्रकट करने का समय बताया गया है। पुराणों में उल्लेख मिलता है कि यमराज भी इन दिनों पितरों की आत्मा को मुक्त कर देते हैं ताकि वह अपने परिजनों के बीच 15 दिनों तक रह कर श्राद्ध का अन्न जल ग्रहण कर तृप्त हो सकें। इस साल आश्विन कृष्ण पक्ष का आरंभ 21 सितंबर को हो रहा है। इसलिए 21 सितंबर से ही  हो जाएगा। लेकिन शास्त्रों में एक अन्य नियम भी पितृ पक्ष के संदर्भ में बताया गया है जिससे पितृ पूजन का आरंभ 20 सितंबर से ही हो जाएगा।

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पंडित मनोज त्रिपाठी के अनुसार 20 सितंबर को पूर्णिमा की श्राद्ध होगी। 21 को प्रतिपदा, 22 को द्वितीया, 23 को तृतीया, 24 को चतुर्थी, 25 को पंचमी, 26 को षष्ठी, 27 को सप्तमी, 28 को कोई श्राद्ध नहीं होगा। 29 को अष्टमी, 30 को मातृ नवमी, एक अक्तूबर को दशमी, दो को एकादशी, तीन को द्वादशी, चार को त्रयोदशी, पांच को चतुर्दशी और छह अक्तूबर को अमावस्या श्राद्ध के साथ पितृ विसर्जन होगा। मान्यता है कि संगम तीरे और हरिद्वार गंगा किनारे पिंडदान करने से मृत आत्माओं को पूर्ण शांति मिलती है। पूर्वज अपने वंशजों को उनका मनोवांक्षित फल देते हैं।पितृ ऋण से मुक्त हुए बिना जीवन निरर्थक है । हिन्दू धर्म में देव ऋण, ऋषि ऋण और पितृ ऋण का महत्व है। पितृ पक्ष में माता-पिता के प्रति तर्पण करके श्रद्धा व्यक्त की जाती है। पंडित मनोज त्रिपाठी ने यह भी बताया कि बिना पितृ ऋण से मुक्त हुए जीवन निरर्थक माना जाता है।

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संवाद365,नरेश तोमर

 

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