रामनगर : मानसून में सक्रिय हुए शिकारी, वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए कॉर्बेट प्रशासन ने कसी कमर

July 2, 2021 | samvaad365

 

मानसून सीजन में जंगलों के अंदर वन्यजीवों की सुरक्षा किसी चुनौती से कम नहीं होती हैं।मानसून सीजन में ही शिकारी जंगलों के अंदर घुसकर वन्यजीवों का शिकार करते है। वन्यजीवों की सुरक्षा में लगे कर्मियों की चुनौनियों का फायदा उठाकर शिकारी कॉर्बेट समेत अन्य नेशनल पार्कों में मानसून सीजन के दौरान घुसपैठ करते है। ऐसे में कॉर्बेट प्रशासन ने कमर कस ली है। कॉर्बेट प्रशासन ने शिकारियों के मसूबों को नाकाम करने के लिए ऑपरेशन मानसून भी शुरू कर दिया है। दरअसल, मानसून सीजन में ज्यादा बारिश होने के कारण कॉर्बेट नेशनल पार्क के ढिकाला और बिजरानी के अलावा अन्य गेट पर्यटकों के लिए बंद होता जाते हैं। इन दिनों कॉर्बेट नेशनल पार्क में पर्यटकों की आवाजाही न के बराबर हो जाती है, जिसकी फायदा शिकारी उठाते हैं। इसके अलावा बारिश और हरियाला की सहारा लेकर वन्यजीव तस्कर जंगलों में बड़ी-बड़ी वारदात को अंजाम देते है। शिकारी अपने मसूबों में कामयाब न हो पाए, इसके लिए कॉर्बेट प्रशासन ने अपनी तैयारी पूरी कर ली है।

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कॉर्बेट प्रशासन की माने तो वन्यजीवों को शिकारियों से बचाने के लिए जंगलों में गश्त बढ़ा दी गई है। करीब 300 फील्ड कर्मियों को जंगल में पेट्रोलिंग के लिए लगाया गया है। पूरे मानसून सीजन में चलने वाली पेट्रोलिंग को विभाग ने ऑपरेशन मॉनसून का नाम दिया है। कॉर्बेट नेशनल पार्क का क्षेत्रफल करीब 1288 वर्ग किलोमीटर है। इसके अलावा कॉर्बेट नेशनल पार्क का जंगल काफी घना है। वहीं बरसात के मौसम में ढिकाला व बिजरानी के अन्य पर्यटकों जोन में जिप्सी चालक व गाइडों की आवाजाही पूरी तरह से बंद हो जाती है। बरसात के कारण जंगलों के रास्ते बहुत खराब हो जाते हैं। ऐसे में सुरक्षा कर्मियों को गश्त करने में काफी दिक्कतें आती हैं। इन्हीं का फायदा शिकारी उठाते हैं।

 

 

बरसात शुरू होते ही शिकारियों की नजर बाघ, गुलदार और हाथी समेत अन्य जंगली जानवरों पर रहती है। इसी को ध्यान में रखते हुए कॉर्बेट प्रशासन जुलाई माह के पहले सप्ताह से ऑपरेशन मॉनसून शुरू कर दिया है। सीटीआर (कार्बेट टाइगर रिजर्व) में उत्तर प्रदेश के आमनगढ़, अफजलगढ़, शेरकोट, धामपुर नगीना, नजीमाबाद और मंडावली से शिकारियों की घुसपैठ का खतरा बना रहता है। इन इलाकों से ही शिकारी कॉर्बेट में घुसपैठ का प्रयास करते हैं।वहीं दक्षिणी सीमा पर प्रत्येक 2 किलोमीटर में करीब 40 वन चौकी है। इन चौकियों में वन कर्मियों तैनात कर चौकसी बढ़ा दी गई है।सीटीआर की वन चौकियों में भरपूर राशन के अलावा मेडिकल किट भेज दी गई है। बारिश होने पर जंगल में सड़क टूट जाती है, जिस कारण बन चौकी में रहने वाले कर्मचारी जंगल से बाहर नहीं आ पाते।कॉर्बेट में कुछ इलाके ऐसे भी जहां वनकर्मी नहीं पहुंच पाते है। ऐसे इलाके में शिकारियों पर नजर रखने के लिए ड्रोन कैमरे की मदद ली जाती है।कॉर्बेट प्रशासन ने सभी रेंज में वन चौकियों को एक-एक ड्रोन कैमरा उपलब्ध कराया है। इसके अलावा ऑपरेशन मॉनसून में 100 दैनिक श्रमिकों को भी गश्त के लिए लगाया गया है।पेट्रोलिंग में रेंज स्तर पर लंबी दूरी की गश्ती भी की जाएगी। साथ ही हाथियों से भी नदी नालों को स्कैन किया जाएगा। शिकारियों को दबोचने के लिए एंबुश लगाए गए हैं। इसके लिए टीमें बनाई गई है। एक टीम में 9 कर्मचारी शामिल रहेंगे। टीम जंगल में संभावित घुसपैठ वाली जगह में छिपकर नजर रखेंगे और शिकारी देखने पर उनकी घेराबंदी कर उनको पकड़ा जा सकेगा।

संवाद365,अमित बेलवाल

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