रुद्रप्रयाग: बबीता रावत को तीलू रौतेली सम्मान, मशरूम उत्पादन से कर रही हैं स्वरोजगार

August 9, 2020 | samvaad365

रुद्रप्रयाग: रुद्रप्रयाग मुख्यालय से पाँच किमी की दूरी पर स्थित सौड़ उमरेला की बबीता रावत पिछले तीन वर्षों से निरंतर सब्जी और मशरूम उत्पादन कर बेहतर कार्य कर रही हैं। उनके बेहतर कार्यों को देखते हुए राज्य सरकार ने उन्हें तीलू रौतेली पुरस्कार से नवाजा है। तीलू रौतेली सम्मान मिलने पर बबीता के साथ ही पूरा जिला गौरवान्वित महसूस कर रहा है।

दरअसल सौड़ उमरेला निवासी बबीता रावत सात भाई-बहन हैं। जब बबीता महज 14 वर्ष की थी तो उनके पिता की तबीयत अचानक खराब हो गई। प्राईवेट नौकरी कर किसी तरह गुजर बसर कर रहे बबीता के पिता की तबीयत खराब होने से परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत ही खराब हो गई। ऐसे में बबीता ने 14 वर्ष की उम्र में ही खेतों में हल लगाकर खेती का कार्य आरम्भ कर दिया। माँ भैंस पालकर दूध निकालती थी और बबीता खेतों में काम करने के बाद 5 किमी दूर रूद्रप्रयाग इण्टर काॅलेज में पढ़ाई करे के साथ ही दूध बेचने के लिए भी ले जाती थी। पारंम्परिक फसलों से लाभ न हुआ तो तीन वर्ष पूर्व बबीता ने मशरूम उत्पादन के क्षेत्र में कार्य करने आरम्भ किया। शुरूआती दौर में मशरूम की मार्केट बनाने में दिक्कतें जरूर हुई लेकिन बाद में अच्छा मुनाफा होने लगा। इसके साथ साथ सब्जी उत्पादन भी आरम्भ किया तो परिणाम बेहतर आने लगे।

आर्थिंक तंगी से जूझ रहे परिवार को बबीता रावत की मजबूत इच्छा शक्ति ने न केवल उभारा बल्कि तीन बहिनों की शादी और खुद एमए तक की पढ़ाई भी सम्पन्न की। आज वह सब्जी व मशरूम उत्पादन से अच्छा खासा मुनाफा कमा रही है। इस सीजन में बबीता ने मशरूम उत्पादन और सब्जी उत्पादन में करीब एक लाख रूपये की कमाई कर चुकी है। जबकि बबीता बताती है की मशरूम की इतनी खपत है कि वह पूरी ही नहीं कर पाती हैं।

विपरीत परिस्थितियों में लग्न, कड़ी मेहनत और मजबूत इच्छा शक्ति से आज न केवल वह घर में सम्मानजनक रोजगार कर रही हैं।  बल्कि उन लोगों के लिए प्रेरणा भी बनी हुई हैं जो लोग पहाड़ों को केवल मिट्टी पत्थर का ढेर समझकर यहां से पलायन कर जाते हैं. और महिलाओं को केवल घर के चूल्हे चैके के काम तक ही सिमट कर रखते हैं। बबीता के बुलंद हौसलों को हम सलाम करते हैं।

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संवाद365/कुलदीप राणा

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