उत्तराखंड के नायक भवानी दत्त जोशी की शौर्य गाथा

June 7, 2019 | samvaad365

5 और 6 जून, 1984 की रात ‘ब्लू स्टार’ ऑपरेशन के दौरान नायक भवानी दत्त जोशी की कंपनी को कुछ इमारतों में प्रवेश हासिल करने का काम सौंपा गया था। आतंकवादियों ने इन इमारतों की मजबूती से किलेबंदी की हुई थी और मुख्य द्वार बंद किया हुआ था। सेना के लिए इस मुहराबंद द्वार को खोलना बहुत जरूरी था। इस मुख्य द्वार पर जैसे ही एक बड़ा छेद बनाया गया, आतंकवादियों ने नायक भवानी दत्त जोशी की प्लाटून पर भीषण गोलीबारी शुरू कर दी जिससे प्लाटून का आगे बढ़ना असंभव हो गया था।

इसे देखकर कमांडिंग अफसर ने जवानों से कहा कि इस समस्या से निपटने के लिए जो जवान आगे आना चाहें, आ जाएं। इस चुनौतिपूर्ण कार्य के लिए नायक भवानी दत्त जोशी आगे आए। अपनी सुरक्षा की जरा भी परवाह किए बिना उन्होंने आतंकवादियों पर हमला बोल दिया। एक आतंकवादी को उन्होंने अपनी कारबाइन राइफल से और दूसरे को संगीन तरीके से मौत के घाट उतार दिया और इस तरह प्लाटून के लिए आगे बढ़ने का रास्ता खुल गया। वो इस कार्रवाई में खुद जख्मी हो चुके थे फिर भी दीवार की आड़ से गोलीबारी कर रहे दूसरे आतंकवादी पर टूट पड़े और इस मुठभेड़ में वीरगति को प्राप्त हुए। उनके इस अदम्य साहस के परिणामस्वरूप ही उनकी कंपनी अपने मिशन को कामयाब करने में सफल हुई। इस प्रकार नायक भवानी दत्त जोशी ने असाधारण शौर्य, दृढ़ता, अनुकरणीय साहस और उच्चकोटि की असाधारण कर्तव्यपरायणता का परिचय दिया और सेना की उच्चतम परंपराओं के लिए अपनी जान पर खेल गए।

आपको बताते चलें कि ऑपरेशन ‘ब्लू स्टार’ के दौरान रेजीमेंट की सातवीं और नौवीं बटालियन ने उत्कृष्ट कार्य करते हुए निष्ठापूर्वक अपना दायित्व निभाया। इस संवेदनशील ऑपरेशन में 9वीं बटालियन के 7 जवान शहीद हुए और 10 से ज्यादा अधिकारी घायल हो गए। नायक भवानी दत्त जोशी ने बहादुरी से लड़ते हुए सर्वोच्च बलिदान दिया, जिसके ल‌िए इन्हें मरणोंपरांत अशोक चक्र से सम्मानित भी किया गया। नौवीं बटालियन ने इसके अलावा 2 कीर्ति चक्र, 2 शौर्य चक्र और एक सेना मैडल भी प्राप्त किया।

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संवाद365/वीरू जोशी 

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