वैदिक मंत्रोच्चारों के साथ भक्तों के लिए खोले गए देवी मां राजराजेश्वरी चण्डिका मन्दिर के कपाट

January 31, 2019 | samvaad365

गुरुवार को सुबह आठ बजकर तीस मिनट पर वैदिक मंत्रोचारों के साथ सिमली क्षेत्र की आराध्य देवी मां राजराजेश्वरी चण्डिका मन्दिर के कपाट भक्तों के लिए खोल दिये गये है। मकर संक्रान्ति पर माघ के महीनें में मात्र 15 दिनों के लिए मन्दिर के कपाट बंद किये जाते है। इस दौरान मन्दिर परिसर में कई कार्यक्रमों का आयोजन भी किया गया। कार्यक्रमों का शुभारम्भ क्षेत्रीय विधायक और कर्णप्रयाग नगर पालिका अध्यक्ष दमयन्ती रतूडी ने किया।

कर्णप्रयाग तहसील के सिमली में सातवीं शताब्दी में आदि गुरु शंकराचार्य द्वारा स्थापित गोल गोविन्द गुण्साइ मन्दिर परिसर में क्षेत्र की आराध्य देवी मां चण्डिका के कपाट गुरुवार सुबह आठ बजकर तीस मिनट पर भक्तों के लिए खोल दिये गये है। मन्दिर के पुजारी ने बताया कि माघ के महीनें में मकर संक्रान्ति के बाद 15 दिनों के लिए मन्दिर के कपाट बंद किये जाते है और ठीक पन्द्रह दिन में मन्दिर के कपाट भक्तों के लिए खोल दिये जाते है। मान्यता है कि कपाट बंद के दौरान सभी देवताओं को घ्रित कमल लगाकर देवलोक में पन्द्रह दिनों तक नारद जी द्वारा ही देवताओं की पूजा अर्चना की जाती है।

शेष दिन कपाट खुलनें पर पुजारियों द्वारा ही मन्दिर की पूजा अर्चना की जाती है।  मन्दिर परिसर में हवन पूजा पाठ और भण्डारें का आयोजन किया जाता है। मन्दिर के पुजारियों ने बताया कि सातवीं शताब्दी में आदि गुरु शंकराचार्य जी द्वारा सिमली में गोल गोविन्द गुण्साइ मन्दिर के मन्दिर की स्थापना की गयी थी यहां पर भगवान विष्णु ने बाल रुप में तपस्या की थी ।  और 100 साल बाद पिण्डर नदी में प्रवाहित होकर आई चण्डिका की मूर्ति की स्थापना की गयी थी। इस मन्दिर परिसर में भगवान विष्णु के साथ नारद जी, गरुड जी और लक्ष्मी नारायण और भगवान नारायण जी के दस रुप भी स्थापित है।  वहीं इस दौरान मन्दिर परिसर में कई कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जाता है। मन्दिर समिति के लोगों ने बताया कि इस कार्यक्रम को नया रुप देने के लिए पूरी कोशिश की गयी है ताकि मां चण्डिका के इस मन्दिर की पहचान देश विदेशों तक पहुंच सके और लोगो को मन्दिर के इतिहास की जानकारी मिल सके ।

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चमोली/पुष्कर नेगी

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