अटल आयुष्मान योजना के तहत मिलने वाली सुविधाओं और नियमों में सरकार ने कई बदलाव किए हैं। योजना के तहत लाभार्थी सूचीबद्ध प्राइवेट अस्पतालों में इलाज की सुविधा हासिल कर सकते हैं, लेकिन ये तभी होगा जब उन्हें सरकारी अस्पतालों से रेफर किया जाएगा। पांच लाख रुपये तक के निशुल्क इलाज के लिए मरीजों को सरकारी अस्पताल से रेफर कराना अनिवार्य कर दिया गया है। कोरोना संक्रमण के बढ़ते असर को देखते हुए मरीजों को सीधे प्राइवेट अस्पताल में भर्ती होने की छूट दी गई थी, लेकिन अब क्योंकि संक्रमण के मामले कम हो गए हैं, इसलिए पुरानी व्यवस्था में भी बदलाव किया गया है।
हेल्थ एजेंसी ने पांच लाख रुपये तक के निशुल्क इलाज वाली आयुष्मान योजना के लिए रेफरल अनिवार्य किया है, लेकिन सरकारी कर्मचारियों और पेंशनर्स के लिए कैशलेस राज्य स्वास्थ्य योजना के तहत इलाज के लिए रेफरल अनिवार्य नहीं है। मरीज सीधे सूचीबद्ध प्राइवेट अस्पतालों में इलाज के लिए जा सकेंगे। एनएबीएच मान्यता प्राप्त प्राइवेट अस्पतालों, मेडिकल कॉलेजों और पहाड़ के अस्पतालों में आयुष्मान कार्ड धारक सीधे जाकर अपना इलाज करवा सकता है। इन अस्पतालों में इलाज के लिए रेफरल की आवश्यकता नहीं होगी। राज्य में एनएबीएच प्राइवेट अस्पताल तीन ही हैं, इसलिए ज्यादातर प्राइवेट अस्पतालों में इलाज के लिए लोगों को पहले सरकारी अस्पताल से रेफरल कराना होगा। बता दें कि राज्य में पिछले दो साल से बड़ी संख्या में लोग आयुष्मान योजना का लाभ ले रहे हैं और सरकार करोड़ों की राशि मरीजों के इलाज पर खर्च कर चुकी है। उत्तराखंड में पांच लाख रुपये के निशुल्क इलाज की आयुष्मान योजना के दायरे में 70 लाख के करीब लोग आते हैं, लेकिन अभी 44 लाख लोगों के ही आयुष्मान कार्ड बन पाए हैं।
संवाद365,डेस्क