- मुख्य बिंदु
- केंद्रीय मानक ब्यूरो ने जारी की पानी की गुणवत्ता की सूची
- पानी की गुणवत्ता में दिल्ली सबसे नीचे
- 21 शहरों की सूची में देहरादून भी 18वें नंबर पर
- दुनिया के सामने तेजी से बढ़ रहा है पर्यावरण संकट
देश और दुनिया में आज प्रदूषण सबसे बड़ी चुनौती बन रहा है. वायु प्रदूषण और जल प्रदूषण से दुनिया के अधिकतम शहर चिंतित हैं. चिंतित होना जरूरी इसलिए भी है क्योंकि अगर हाल यही रहे तो भविष्य में मानव जाति के लिए ये खतरा सबसे बड़ा खतरा बन जाएगा. तो क्या ये आशंका भी जताई जा सकती है कि यह खतरा किसी परमाणु हमले जैसा खतरनाक हो जाएगा.
यह सभी समस्याएं वैश्विक समस्याएं हैं लेकिन हम अगर भारत के परिदृष्य से इनको देखें तो चिंता सबसे ज्यादा देश की राजधानी दिल्ली की बढ़ती है. अक्सर इन दिनों आप दिल्ली के वातावरण को लेकर खबरें सुन रहे होंगे. ये खबरें दिल्ली वासियों को चिंतित करती हैं. लेकिन हकीकत यह भी है कि दिल्ली को ही इससे चिंतित नहीं होना चाहिए. अपितु देश के अन्य शहरों को भी चिंतित होना चाहिए. उत्तराखंड पहाड़ी राज्य जरूर है हम अक्सर यहां की प्राकृतिक संपदा का भी जिक्र करते हैं लेकिन यह बात कितनी सही है कि यहां का वातावरण या फिर प्राकृतिक संसाधन भविष्य के इस सबसे बड़े खतरे से सुरक्षित रह सकेंगे. हाल में पानी को लेकर आई रिपोर्ट तो देहरादून के लिए भी ठीक नहीं लगती.
पहले सांस लेना मुश्किल अब पानी भी डरा रहा है
मौसम का मिजाज बताने वाली संस्था स्काईमेट में हवा को लेकर सर्वे किया था. शुक्रवार को स्काईमेट के द्वारा जारी की गई रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली की हवा देश में ही नहीं बल्कि दुनिया में भी सबसे खतरनाक है. दूसरे शब्दों में कहा जाय तो दिल्ली दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर है. अब दिल्ली वासियों के लिए एक और समस्या सामने आ गई.
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पानी के मामले में भी दिल्ली पानी पानी
भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) में पानी को लेकर अपनी एक रिपोर्ट जारी कि है यह रिपोर्ट केंद्रीय खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्री रामविलास पासवान ने जारी की है. रिपोर्ट में देश के 21 शहरों के पानी के सैंपल लिए गए अधिकतम देश के राज्यों की राजधानियां ही हैं. इन 21 शहरों में दिल्ली की हालत सबसे ज्यादा खराब है यानी कि हवा के बाद दिल्ली का पानी भी सबसे खराब है. दिल्ली इस सूची में 21वें नंबर पर है. जबकि मुंबई का पानी सबसे साफ बताया गया है. इस सूची में मुंबई, हैदराबाद और भुवनेश्वर पहले तीन स्थानों पर हैं. उत्तराखंड की राजधानी देहरादून के हाल भी कुछ ज्यादा अच्छे नहीं हैं. 21 शहरों में देहरादून 18वें नंबर पर है.
यह है लिस्ट
मुंबई, हैदराबाद, भुवनेश्वर, रांची, रायपुर, अमरावती, शिमला, चंडीगढ़, तिरूअनंतपुरम, पटना, भोपाल, गुवाहटी, बेंगलुरू, गांधीनगर, लखनउ, जम्मू, जयपुर, देहरादून, चेन्नई, कोलकाता, दिल्ली
उत्तराखंड के लिए भी खतरे की घंटी !
पानी के मामले में अक्सर देहरादून के लोगों की समस्याएं काफी ज्यादा रहती हैं. आमतौर पर देहरादून में यदि आप पानी की टंकी में कुछ दिनों तक पानी को स्टोर रखें तो अधिकतम टंकियों में चूना जम जाता है. लेकिन इस सूची से यह भी जाहिर होता है कि किस तरह से प्रदूषण न सिर्फ दिल्ली बल्कि उत्तराखंड और बाकी के राज्यों में भी बढ़ रहा है. पर्यावरण के लिहाज से उत्तराखंड को भी इस मामले में गंभीर होना पड़ेगा अभी भले ही इस बात को लोग ज्यादा महसूस नहीं कर रहे हों लेकिन पर्यावरण प्रदूषण जिस तेजी से दुनिया में अपने प्रभाव को दिखा रहा है उससे यह कहा जा सकता है कि जब तक उत्तराखंड दिल्ली बने तब तक हिमायली प्रदेश होने के नाते हमे इस मामले में गंभीर होना होगा और थोड़ी सख्ती दिखानी पड़ेगी.
तो चलिए अब दिल्ली पर वापस आते हैं दिल्ली के लिए आज चिंता की बडी बात यह भी है कि वो देश की राजधानी होते हुए भी इन चीजों से उभर नहीं पा रही है. हालांकि यह समस्या कोई आरोप प्रत्यारोप वाली नहीं है. जिस तरह से दिल्ली में देखा भी जाता है केंद्र और राज्य सरकार के आपसी समन्वय से इस समस्या को संपादित करने की आवश्यकता तो है ही लेकिन बिना आम नागरिक के समस्या से पार पानी मुश्किल है. रामविलास पासवान ने रिपोर्ट को सार्वजनिक करते वक्त बताया कि दिल्ली के 11 सैंपल लिए जो कि सभी 10 मानकों पर फेल हो गए.
दिल्ली जलबोर्ड ने रिपोर्ट को नकारा
केंद्रीय मानक ब्यूरो की इस रिपोर्ट को हालांकि दिल्ली जल बोर्ड ने खारिज कर दिया. जल बोर्ड का कहना यह है कि डब्लूएचओ के मानकों के अनुरूप दिल्ली का पानी है. जिसकी जांच हर चार घंटे में की जाती है. दिल्ली जल बोर्ड की ओर से यह भी कहा गया कि रामविलास पासवान ने किन मानकों के तहत और किस लैब से ये जांच करवाई है यह सार्वजनिक किया जाए.
समस्या विकराल हो रही है लेकिन सियासत जारी है
सुप्रीम कोर्ट ने दोनों सरकारों को फटकार लगाई है. दिल्ली में हर दिन प्रदूषण चरम पर है सांस लेना मुश्किल हो रहा है. लेकिन समस्या कम होने की बजाए अरविंद केजरीवाल पंजाब हरियाणा की पराली का राग अलाप रहे हैं. बीजेपी केजरीवाल को दोषी ठहरा रही है आॅड इवन पर सवाल उठा रही है. और कांग्रेस कहती है कि केंद्र सरकार नाकाम रही है. लेकिन दिल्ली को ठीक कौन करेगा अभी तक तो इसका जवाब मिलता नजर नहीं आ रहा है. अब ऐसे में आज जो चर्चाएं दिल्ली पर हो रही हैं हो सकता है कि अगले साल इस लिस्ट में और शहर भी शामिल हो जाएं लेकिन तब तक यह समस्या विकराल रूप ले लेगी जिससे आने वाली पीढ़ी को इसका खामियाजा भुगतना पडेगा.
https://www.youtube.com/watch?v=93AEz2GbIfQ
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