उत्तराखंडी संगीत जगत में कई गायक और गायिका अपने गायन का लोहा मनवा चुके हैं. लोकगायन के क्षेत्र में कई लोगों ने अपना सफल मुकाम पा लिया . साथ ही लगातार उत्तराखंडी गायन के क्षेत्र में कई युवा अपनी गायकी से लोगों के बीच अपनी छाप छोड़ रहे हैं. एक ऐसी ही गायिका हैं निधि राणा. निधि राणा के गीत आजकल लोगों की जुबां पर हैं. निधि राणा की गायकी को इन दिनों हर वर्ग पसंद कर रहा है और उनके कई गीत यू ट्यूब पर धमाल भी मचा चुके हैं.
तेजी से लोकगायन के क्षेत्र में अपनी पहचान बना रही निधि राणा का गांव थली है तो कि उत्तरकाशी जपनद में पड़ता है. निधि राणा कहती हैं कि उनके पिता राजेंद्र सिंह राणा और मां सावित्री देवी की प्रेरणा से ही वो लगातार अपने क्षेत्र में आगे बढ़ रही है. मैते की घुघती …. हे जी रेंदा देहरादून…. गंगाड़या बैख … जैसे कई ऐसे गीत हैं जो कि काफी ज्यादा देखे गए हैं. साथ ही बिसरे अपड़े रीति रिवाज जिओ की फ्लूटी जैसे जौनसारी गीत भी निधि राणा के लोगों को काफी पसंद आए हैं. निधि राणा ये भी कहती हैं कि उनकी तमन्ना है कि वो गढ़रत्न नरेंद्र सिंह नेगी के साथ गीत गाना चाहती हैं. साथ ही उनका कहना है कि मीना राणा के गीत भी उन्हें बेहद पसंद हैं.
निधि राणा नौगांव ब्लॉक के पुरोला से ताल्लुक रखती हैं और उन्होंने अपनी 12वीं तक की पढ़ाई गांव के ही स्कूल से की जिसके बाद उन्होंने देहरादून के डीबीएस कॉलेज से ग्रेजुएशन किया. निधि का कहना है कि वो उन्होंने अपने गुरूजी प्रमोद रावत से भी प्रेरणा ली और गायकी के क्षेत्र में पर्दापण किया. गायकी के क्षेत्र में उन्होंने अपने जौनसारी गीत बिसे अपने रीति रिवाज से शुरूआत की. ये गीत लोगों को खूब पसंद आया और उसके बाद ये सिलसिला लगातार जारी रहा. निधि अभी तक लगभग 150 गीतों को अपनी आवाज दे चुकी हैं. और तेजी से उन्होंने इस क्षेत्र में तरक्की की है. उनका कहना ये भी है कि आजकल कई ऐसे गीत हैं जो की बेतुके होते हैं लेकिन उनका मानना है कि गीत वो ऐसे गाएं जिससे की समाज को कोई संदेश मिले.
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संवाद365/काजल