एक साल में 12 लाख मौतों की वजह बना वायु प्रदूषण

June 4, 2019 | samvaad365

दिल्ली: 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है। विश्वभर में इस दिवस को मनाने के साथ ही भारत में भी इस दिवस को मनाया जाता है। लेकिन भारत में पर्यावरण के स्वच्छ होने की क्या स्थिति है इससे हम सभी वाकिफ हैं। देश में पर्यावरण का स्तर लगातार खराब होता जा रहा है। यहां जो लोग सांस ले रहे हैं वो ही असुरक्षित हैं। दरअसल भारत की वायु में हर दिन प्रदूषण घुलता जा रहा है।

जिसकी वजह से सांस लेने में लोगों को तो तकलीफ होती ही है साथ ही जो लोग बीमार है या सांस की किसी गंभीर बिमारी से जूझ रहे हैं उन्हें भी ये दूषित हवा धीरे-धीरे मौत की चौखट तक ले जाने का काम कर रही है। विश्व पर्यावरण दिवस को मनाने से पहले वातावरण में शामिल जो प्रदूषण हैं उस पर एक बार विचार करना चाहिए। वातावरण में प्रदूषण इस कदर हावी हो गया है कि इसके चलते अबतक करीब 12 लाख लोग मौत की आगोश में समां चुके हैं। दरअसल, स्टेट ऑफ ग्लोबल एयर 2019 की ओर से जारी किए गए आंकड़ों में, भारत में वायु प्रदूषण से मौत का आंकड़ा स्वास्थ्य संबंधी कारणों से होने वाली मौत को लेकर तीसरा सबसे खतरनाक कारण है। देश में सबसे ज्यादा मौतें सड़क हादसों और मलेरिया के कारण होती है। वायु प्रदूषण के बढ़ते खतरे के कारण दक्षिण एशियाई देशों के बच्चों की औसत उम्र में ढाई साल (30 महीने) की कमी आई है जबकि वैश्विक स्तर पर यह आंकड़ा 20 महीने का है। इसका अर्थ यह हुआ कि अगर आज की तारीख में बच्चे का जन्म होता है तो औसतन जीवन प्रत्याशा से 20 महीने पहले ही उसकी मौत हो जाएगी। ऐसे में सरकार को पर्यावरण को स्वच्छ करने के लिए विचार करना चाहिए और साथ ही हवा को दूषित कर रहे कारणों पर भी लगाम लगानी होगी।

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संवाद365/काजल

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