जानिए क्यों खास है उत्तराखंड के चैती मेले का नखासा बाजार

April 9, 2019 | samvaad365

काशीपुर के चैती मेले में लगने वाला नखासा बाजार उत्तर भारत के प्रमुख नखासा बजारों में से है। चैती के ही नखासा बाजार से कभी चंबल के डकैत अपने मनपसंद घोड़े खरीदते थे। सुल्ताना डाकू जैसा खूंखार डकैत भी यहां खुले आम घोड़ों की खरीदारी करता था। चैती मेले में देवी का डोला चैती मंदिर आने तक नखासा बाजार लगाया जाता है। घोड़ों के व्यापारियों के मुताबिक भारत की आजादी से पहले यहां काबुल, पेशावर, गुजरात से महंगे घोड़े आते थे। उन्होंने बताया कि डकैत चैती मेले से घोड़े खरीदने के लिए साल भर इंतजार किया करते थे। इन डकैतों के बीच काबुल के घोड़े खासा पसंद किए जाते थे। यह घोड़े सिर्फ चैती के नखासा बाजार में ही उपलब्ध होते थे। वक्त के साथ घोड़ों का चलन कम होने लगा। 10 साल पहले तक यहां के नखासा बाजार में गुजरात के मालवा के घोड़े भी आते थे। लेकिन धीरे धीरे अब यह बाजार सिमटने लगा है और घोड़ों की संख्या भी कम होने लगी है। आधुनिकीकरण के साथ यातायात के साधन बदले तो घोड़ों से लोगों की दिलचस्पी कम हो गई। अब नखासा बाजार से चंद लोग ही घोड़ों की खरीदारी करते हैं वो भी महज शौकिया तौर पर। बता दें कि काशीपुर में लगने वाला ऐतिहासिक चैती मेला इस बार चैत्र नवरात्र के 6 अप्रैल से शुरू हुआ। यहां मां भगवती बाल सुंदरी देवी के दर्शन के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं। चैती मेला लगभग पंद्रह दिनों तक चलता है। जिसमें मशहूर नखासा बाजार का आयोजन भी किया जाता है। जिसमें घोड़ों की खरीद-फरोख्त के लिए दूर दराज से लोग पहुंचते हैं। बता दें कि उत्तर भारत के मुक्सर, जगराम, पंजाब के नाबा मोड मंडी, उत्तर प्रदेश में बाराबंकी के देवाशरीफ, कानपुर के मकनपुर, एटा के सोरो सहित कई स्थानों पर नखासा बाजार लगते हैँ। लेकिन चैती का नखासा बाजार अच्छी नस्ल के घोड़ों की खरीद-फरोख्त के लिए जाना जाता है।

संवाद365 / पुष्पा पुण्डीर

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