जम्मू-कश्मीर में 14 फरवरी को हुए पुलवामा आतंकी हमले के बाद राज्य को विशेष अधिकार देने वाले अनुच्छेद 35A की कवायद तेज हो गई है। इसी संबंध में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई से पहले सरकार ने अलगाववादी नेताओं पर नकेल कसना शुरू कर दिया है।
घाटी का माहौल शांत रहे इसलिए घाटी में कई जमात-ए-इस्लामी नेताओं और कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार कर उन्हें हिरासत में लिया जा रहा है। घटनाक्रम से जुड़े अधिकारियों ने कहा कि यह उस संगठन पर पहली बड़ी कार्रवाई है, जो अलगाववादी संगठन तहरीक-ए-हुर्रियत का हिस्सा है। पुलिस ने हिरासत को नियमित बताया है। वहीं जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने इन नेताओं और कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी पर सवाल उठाते हुए कहा, ‘पिछले 24 घंटों में हुर्रियत नेताओं और जमात संगठन के कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया है। ऐसी मनमानी चाल को समझना मुश्किल है। किस कानूनी आधार के तहत उनकी गिरफ्तारी जायज है? आप किसी व्यक्ति को कैद कर सकते हैं, लेकिन उसके विचारों को नहीं।’
दक्षिण कश्मीर और मध्य कश्मीर में शुक्रवार रात को छापेमारी करते हुए जम्मू और कश्मीर पुलिस ने जमात के कई नेताओं को उनके घरों से उठाया। जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (JKLF) के प्रमुख और अलगाववादी नेता यासीन मलिक के अलावा घाटी के कई हिस्सों से दर्जनों जमात-ए-इस्लामी (JeI) नेताओं को हिरासत में लिया गया। इसके अलावा केंद्र सरकार ने शुक्रवार को केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (CAPF) को जम्मू-कश्मीर में 100 कंपनियों को तत्काल तैनात करने का आदेश दिया है।
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दिल्ली/काजल