एक तरफ पूरा उत्तर भारत कडकड़ती ठंड से ठिठुर रहा है और खास तौर पर हिमालय क्षेत्री की घाटी बर्फीली शीतलहर की चपेट में है तो वहीं दूसरी तरफ केदारघाटी की जनता आक्रोश की ज्वाला से धधक रही है।
पिछले दो दिनों से उत्तर भारत बारिश और भारी बर्फबारी के चलते भीषण ठंड की चपेट में है तो पहाड़ों में हिमालय की शीतलहर हडियों के दयार में इस कदर धंस रही है कि सीधे हाड मांस को कंपा दे रही है। वहीं रुद्रप्रयाग जनपद के मद्महेश्वर घाटी के दर्जनों गाँवों के ग्रामीण सिस्टम की मार से इस कदर त्रस्त हो गए हैं कि मौसम की भारी दुश्वारियों के बीच आक्रोश की ज्वाला धधक रही है। उखीमठ ब्लाॅक मुख्यालय पर ग्रामीण अपनी 11 सूत्रीय माँगों को लेकर ढोल-नगाड़ों के साथ सड़क पर सड़क के लिए प्रदर्शन कर रहे हैं। वर्षों से उखीमठ-उनियाणा-रासी मोटर मार्ग के विस्तारीकरण को लेकर शासन प्रशासन के चक्कर लगाते थक चुके हैं लेकिन मांगे नहीं मानी गई। आपको बता दे कि रासी और गौडार जिले के अंतिम गांव हैं जहां के ग्रामीण आज भी सड़के अभाव में 8 किमी पैदल दूरी तय करते हैं। रोजमर्रा की जरूरतों और और बीमारों के साथ ही स्कूली बच्चों को भी हर रोज भारी परेशानियों से गुजरना पड़ता है। इसके अलावा क्षेत्र के विभिन्न विद्यालयों में महत्वपूर्ण विषयों की तैनाती करने, मोबाइल टावर लगाने, तंगहाल सड़कों की स्थिति सुधारने सहित 11 मागों के लिए अब ग्रामीण आर-पार की लड़ाई के लिए आमादा हो गए हैं।
मद्दमहेश्वर घाटी विकास मंच और प्रधान संगठन न्याय पंचायत मनसूना के संयुक्त तत्वाधान में 13 गाँवों के ग्रामीणों ने उखीमठ मुख्यालय में ही अपना क्रमिक अनशन आरम्भ कर दिया है और चेतावनी दी है कि अगर 27 जनवरी तक उनकी मांगे नहीं मानी जाती है उसके बाद वे भूखहड़ताल के लिए विवश हो जायेंगे। भारी ठंड के बीच ग्रामीणों का धरना जारी है और वे हर चुनौति को मात देने के लिए तैयार हैं। अब देखना है ग्रामीणों के आन्दोलन पर प्रशासन और सरकार के कारिन्दे क्या संज्ञान लेते हैं।
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रुद्रप्रयाग/कुलदीप राणा