सन् 1960 में सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण जिला उत्तरकाशी में भटवाड़ी तहसील का पलायन हो गया हैं जब तहसील का पलायन हो गया तो गांव के गांव पलायन होना लाजमी हैं 1960 में जब तहसील बनी उस समय सभी विभाग भटवाड़ी में खोले गए थे। लेकिन आपदा के बाद यंहा विभाग पूरी तरह से पलायन कर गया है। और ग्रामीणों के कई बार शासन प्रशासन को चेताने के बाद विभाग वापस नहीं लोटे। जिसके चलते ग्रामीण पिछले 15 दिनों से धरने पर है।
भटवाड़ी तहसील मुख्यालय पर यहां से आपदा के बाद पूरी तरह से पलायन कर चुके लगभग तीस विभागों का कार्य पुन: शुरू करवाने की मांग को लेकर ग्रामीणों का धरना 14 वें दिन भी जारी रहा। 1960में भटवाड़ी तहसील सामरिक दृष्टि को देखते हुए बनाई गई थी। लेकिन 2010 में भटवाड़ी में आई आपदा के बाद सभी विभाग यंहा से पलायन कर गए है। ग्रामीणों ने कई बार कांग्रेस बीजेपी के विधायको और प्रशासन शासन से गुहार लगाई लेकिन प्रशासन तस से मस नही हुआ। न एसडीएम बैठे न तहसीलदार। ट्रेजरी भी यंहा से पलायन कर गयी। हालात ये हुए कि ग्रामीणों को जिला मुख्यालय शिफ्ट हुए तहसील के चक्कर काटने पड़े।
लेकिन अब ग्रामीण आर पार की लड़ाई के साथ पिछले 14 दिनों से धरने पर बैठे है। ग्रामीणों की एक ही मांग है जब तक माँग पूरी नही होती तब तक धरना जारी रहेगा। ग्रामीण धरने पर है । कांग्रेस बीजेपी समेत सभी जनप्रतिनिधि धरने के समर्थन कर रहे है। वंही एसडीएम देवेंद्र नेगी की माने तो डीएम की ओर से आश्वस्त किया कि जल्द विभागों को भटवाड़ी में सुचारू कर दिया जायेगा। ब्लाक मुख्यालय पर न बैठने वाले अधिकारी-कर्मचारियों के वेतन रोकने की कार्यवाही भी अमल में लाई जायेगी। वहीं पहाड़ पर सरकारों का पलायन एक बड़ा मुद्दा रहा है। लेकिन यहां सरकार की मशीनरी ही पलायन कर चुकी है। लेकिन सिस्टम दिख नही रही और हालात ये कि ग्रामीण धरने पर है।
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उत्तरकाशी/ब्यूरो रिपोर्ट