रुद्रप्रयाग: सिस्टम के सताए ग्रामीणों ने किया मतदान बहिष्कार

April 7, 2019 | samvaad365

पिछले कई सालों से रूद्रप्रयाग जनपद के विकासखण्ड उखीमठ का तरसाली गांव सड़क की मांग कर रहा है लेकिन विभागों से लेकर विधायकों और मुख्यमंत्री तक अपनी फरियाद लगा चुके हैं लेकिन ग्रामीणों की कोई सुनवाई नहीं हो रही है, लिहाजा अब ग्रामीणों ने आगामी लोक सभा चुनावों का बहिष्कार करने का फैसला कर लिया है।

राज्य और केन्द्र सरकार अंतिम छोर तक सड़क मार्ग तक जोड़ने की बात करती है, लेकिन इसकी हकीकत क्या है ये हम आपको बताते हैं। उखीमठ विकास खण्ड के बड़ासू के राजस्व गांव तरसाली गांव के राज्य गठन के अठारह वर्ष बाद भी सड़क के लिए तरस रहा है। ढाई सौ की आबादी वाले इस गांव में आज तक सड़क नहीं पहुंच  पाई। अपनी रोजमार्रा की जरूरतों के लिए यहां के ग्रामीण खड़ी दुर्गम चट्टानों और जंगलों के बीच से होते हुए पांच किमी दूरी तय करते हैं। 2013 की आपदा में यहां का जाने वाला एक मात्र पैदल रास्ता भी ध्वस्त हो गया था जो आज तक नहीं बन पाया है। बुजुर्गों बीमारों गर्भवती महिलाओं और स्कूली बच्चों को हर रोज परेशानियां खड़ी हो जाती हैं, बीमार कई बार रास्ते में दम तोड़ देते हैं तो स्कूली बच्चों का जंगली जानवरों से सामना हो जाता है। जबकि तरसाली गांव एक कृषि प्रधान गांव हैं यहां सब्जियों और फलों का बेतहाशा उत्पादन होता है, लेकिन सड़क मार्ग न होने के कारण ग्रामीणों की फसल गांवों में ही सड़ जाती है।

देश में 17वीं लोक सभा चुनाव होने जा रहे हैं जबकि उत्तराखण्ड में चार विधान सभा चुनाव सम्पन्न हो चुके हैं। चुनावों के वक्त नेता इस गांव की पगडंडी चढ़कर सड़क मार्ग का आश्वासन जरूर देते हैं लेकिन चुनाव जितने के बाद पलट कर नहीं देखते हैं  सालों से सड़क की राह ताक रहे ग्रामीणों की सुनवाई न होने पर अब ग्रामीणों ने आगामी लोक सभा चुनावों में मतदान का बहिष्कार करने का निर्णय लिया हैं। ग्रामीणों ने कहना है कि केन्द्र और राज्य में एक ही पार्टी की सरकार होने के बाद भी हमारे गांव तक सड़क मार्ग नही पहुंच पाया है। ऐसे में सड़क नहीं तो वोट नहीं।

आपको बता दें कि साल 2015 में तत्कालीन विधायक शैलारानी रावत ने तरसाल गांव के लिए तीन किमी सड़क मार्ग हेतू लोक निर्माण विभाग उखीमठ को प्रांकलन तैयार करने के लिए कहा था लेकिन विभागीय उदासीनता के कारण कोई कार्यवाही नहीं हुई। पुनः वर्ष 2017 में विधायक मनोज रावत द्वारा तरसाली के लिए सड़क का प्रस्ताव तैयार कर सर्वे करने के निर्देश लोक निर्माण विभाग को  दिए गए। लोक निर्माण विभाग द्वारा तरसाली के लिए तीन किलो मीटर सड़क स्वीकृति का प्रस्ताव 20 लाख 50 हजार का प्रांकलन शासन को भेजा लेकिन शासन द्वारा उस फाइल को न जाने किस कोने में धूल फांकने के लिए डाल दिया। ग्रामीणों द्वारा लगातार स्थानीय विधायकों से लेकर मुख्यमंत्री के जनता दरबार तक  फरियाद लगाई लेकिन कहीं कोई सुनवाई नहीं हुई। अब लोक सभा चुनाव बहिष्कार से सिस्टम की आंखे कितनी खुल पाती हैं यह देखने वाली बात होगी।

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रुद्रप्रयाग/कुलदीप राणा

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