उत्तराखंड का राज्य वृक्ष ‘बुरांश’, पहाड़ों में बिखर रही फूलों की सुंदरता… 

May 7, 2019 | samvaad365

पिथौरागढ़: उत्तराखंड के लोकगीत, साहित्य, संस्कृति और सौंदर्य को खुद में समेटा राज्य वृक्ष बुरांश इन दिनों पहाड़ो में अपनी सुंदर छटा बिखेर रहा है। हिमालयी क्षेत्र में बुरांश की खूबसूरती देखते ही बन रही है। मानो पहाड़ लाल रंग की चादर ओढ़े अपनी खूबसूरती पर चार चांद लगा रहा हो। पहाड़ के साहित्यकारों से लेकर संगीतकारों ने बुरांश की महिमा अपनी रचनाओं में की है। ओषधीय गुणों से भरपूर बुरांश के फूल को उत्तराखंडी संस्कृति में विशेष स्थान प्राप्त है। पेश है।

बुरांश के पेड़ को पहाड़ी लोकजीवन में गहरी आत्मीयता मिली हुई है। इसलिए इसे राज्य वृक्ष का दर्जा दिया गया है। देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने अपने संस्मरणों में बुरांश का सुंदर चित्रण किया है तो कविवर सुमित्रा नंदन पंत ने अपनी एकमात्र कुमाऊँनी रचना में बुरांश के सौंदर्य का वर्णन करते हुए कहते है कि बुरांश की बराबरी करने लायक जंगल मे कोई दूसरा वृक्ष नही। गढ़वाली और कुमाऊँनी लोकगीतों और लोककथाओं में भी बुरांश के फूल के विभिन्न रूपों का वर्णन मिलता है। अगर कहा जाए कि बुरांश प्रकृति के अद्भुत सौंदर्य और उत्तराखंड की मदमस्त जवानी प्रतीक है तो ये अतिश्योक्ति नही होगी। लोकपर्व फूलदेई के त्यौहार में भी इस पुष्प को सबसे पहले चढ़ाया जाता है।

हिमालयी क्षेत्र में 1500 से 3600 मीटर की ऊंचाई पर पाया जाने वाला बुरांश लाल और गुलाबी रंगों को खुद में समेटा हुआ है। हिमालय की तलहटी में जहाँ लाल और गुलाबी रंग के बुरांश अपनी मनमोहक छटा बिखेरते है तो उच्च हिमालयी इलाकों में सफेद रंग का बुरांश बहुतायत में मिलता है। बुरांश एक फूल ही नहीं बल्कि कई बीमारियों का ईलाज भी है। औषधीय गुणों से भरपूर बुरांस के जूस को दिल के साथ ही कई बीमारियों की रामबाण  औषधि माना जाता है।

उत्तराखंड का राज्य वृक्ष बुरांश नेपाल का राष्ट्रीय फूल भी है। हिमांचल और नागालैंड जैसे हिमालयी राज्यों में भी इसे राज्य पुष्प का दर्जा मिला हुआ है। उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्र में बुरांश धीरे धीरे लोगो की आजीविका का साधन भी बन रहा है। स्थानीय लोग बुरांस के जूस का व्यापार कर इसे एक नई पहचान दे रहे है। ऐसे में अगर सरकार का साथ मिले तो बुराँस पहाड़ के बेरोजगारों के रोजगार का नया साधन बनकर उभर सकता है।

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संवाद365/नीरज कुमार,  पिथौरागढ़

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