महाप्रलय के 6 सालः असंभव हुआ संभव आज केदारनाथ में टूट रहे रिकॉर्ड

June 16, 2019 | samvaad365

रूद्रप्रयाग: 16 और 17 जून 2013 को भला कोई कैसे भूल सकता है. इसदिन केदारनाथ में प्रलय आया था. वो महाप्रलय जिसने हजारों घरों को तबाह कर दिया था. आज केदारनाथ त्रासदी के 6 साल पूरे हो रहे हैं. इन 6 सालों के बाद भी भले ही हम लाख सवाल कर रहे हों कि क्या हम सीख ले पाए हैं. ये सवाल भी जायज ही है. लेकिन इस सवाल से अलग एक बात और भी है जिसपर ध्यान देना चाहिए. केदारनाथ में 2013 में आई त्रासदी के बाद आज सीख लेने की बात कही जा रही है. लेकिन साकारात्मक दृष्टिकोण से अगर देखा जाए तो एक बात यह भी बनती है कि केदानाथ धाम में 2013 से लेकर अब तक कई बदलाव आए हैं. आपदा के छह वर्षों में न केवल केदारपुरी, बल्कि यात्रा की तस्वीर भी पूरी तरह बदली हुई है. जिस तरह धाम में यात्रियों का सैलाब उमड़ रहा है. उससे लगता ही नहीं कि केदारघाटी ने छह वर्ष पूर्व भयंकर तबाही झेली है. ये हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि आज के आंकड़े तो यही बता रहे हैं.

हर साल यात्रा गढ़ रही कीर्तिमान
2013 में आई त्रासदी के बाद से ही हर कोई ये सोच रहा था कि क्या अब भविष्य में कभी केदारनाथ में यात्रा शुरू हो भी पाएगी या नहीं. ये सवाल हर किसी के जहन में था. और सवाल इसलिए जहन में था क्योंकि उस वक्त के हाल देखकर कुछ भी सोच पाना मुश्किल था. शुरुआत के दो वर्षों में केदारनाथ आने वाले यात्रियों की संख्या जरूर कम रही. लेकिन अब यात्रियों की संख्या हर दिन नए कीर्तिमान गढ़ रही है. इस वर्ष यात्रा को शुरू हुए अभी 36 दिन ही बीते हैं. लेकिन यात्रियों का संख्या 6.32 लाख से अधिक पहुंच चुकी है. इसने यात्रा से जुड़े हजारों व्यापारियों के भी चेहरे खिला दिए हैं.

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महाप्रलय के बाद कैसी रही यात्रा
केदारनाथ धाम में आंकड़े इस बात की गवाही दे रहे हैं कि हर साल यात्रा में और यात्रियों में उछाल आया है. यानि कि हर साल ये संदेश गया कि केदारनाथ की यात्रा सरल है सुगम है.
साल 2014 में यात्रियों की संख्या 39,500
साल 2015 में यात्रियों की संख्या 1,59,340
साल 2016 में यात्रियों की संख्या 3,49,123
साल 2017 में यात्रियों की संख्या 4,71,235
साल 2018 में यात्रियों की संख्या 7,32,390
साल 2019 में 15 जून तक यात्रियों की संख्या 6,49,606
यानि कि आंकड़े बता रहे हैं कि साल दर साल केदारनाथ की यात्रा पर आए श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ती ही चली गई और इस साल तो बंपर हो गई.

नईं केदारपुरी में विश्वास
2013 की आपदा के बाद से ही लोग ये सोच रहे थे कि कैसे केदारनाथ फिर से जीवित होगा कैसे अपने पुराने स्वारूप में आएगा. केदानाथ मंदिर को अगर छोड़ दिया जाए तो घाटी में अधिकतम जगहें घर मकान दुकान सबकुछ ध्वस्त हो चुका था. लेकिन चाहे हरीश रावत की सरकार रही हो.. केंद्र की मोदी सरकार रही हो.. कर्नल अजय कोठियाल का नेहरू पर्वतारोहण संस्थान रहा हो. वाकई में अगर देखा जाए तो हर किसी के सामने ये सबसे बड़ी चुनौती थी. और हर किसी ने अपने अपने स्तर पर अपना काम भी निभाया. तब जाकर नईं केदारपुरी में लोगों का भरोसा बना है और लोग यहां पर सुरक्षित महसूस कर रहे हैं.

कई काम हुए पूरे कई होने हैं बाकी
देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी केदारनाथ को लेकर कई बार अपनी संजीदगी दिखा चुके हैं चार बार केदारनाथ भी आ चुके हैं कई बार सिर्फ निर्माण कार्यों का जायजा भी ले चुके हैं. 16 जून 2013 की तबाही के बाद शायद ही किसी को उम्मीद रही होगी कि निकट भविष्य में केदारनाथ यात्रा पुरानी रंगत में लौट पाएगी. लेकिन बीते वर्ष से यात्रा की जो तस्वीर नजर आ रही है. उसने सारी आशंकाओं को धूमिल कर दिया है. आपदा के बाद केदारपुरी में जिस तेजी से बुनियादी सुविधाएं मुहैया कराई गई, वह स्वयं में एक अनूठा उदाहरण है। आपदा में गौरीकुंड हाइवे रुद्रप्रयाग से लेकर गौरीकुंड तक कई स्थानों पर पूरी तरह बह गया था. लेकिन अब इस हाइवे को आलवेदर रोड के तहत बनाया जा रहा है।

केदारनाथ समेत पैदल मार्ग के यात्रा पड़ावों पर यात्रियों के ठहरने के लिए पर्याप्त इंतजाम किए गए है. धाम में यात्रियों के लिए शानदार कॉटेज बनाए गए हैं. इसके अलावा तीर्थ पुरोहितों के लिए भी 210 भवनों का निर्माण कराया गया है. मंदाकिनी नदी पर घाट व चबूतरे का निर्माण. केदारनाथ मंदिर परिसर का चौड़ीकरण और मंदिर के ठीक सामने 200 मीटर लंबे रास्ते का निर्माण हुआ है. धाम में 400 मीटर लंबे अस्था पथ का निर्माण.   केदारनाथ धाम से जुड़ी गरुड़चट्टी.

ये साफ है कि जिस केदारपुरी के बारे में कहा जा रहा था कि शायद ही इसका जीर्णोद्धार कभी हो सके वो केदारपुरी आज चार धाम यात्रा का केंद्र ही बन चुकी है. ये बात हम आंकड़ों के अधार पर कह रहे हैं. और ये सिर्फ एक ऐतिहासिक काम नहीं हुआ बल्कि भविष्य के लिए उत्तराखंड के लिए केदारघाटी के उन लोगों के लिए भी शुभ संकेत है जिनका जीवन यापन इसी मौसमी रोजगार पर होता था. यानि कि बात ये भी है कि वो सारे अनुमान फेल साबित हो गए हैं जो ये कहते थे कि केदारनाथ शायद ही इस महाप्रलय से उभर पाए और शायद ही कभी यहां पर यात्रा अपने पुराने ढर्रे पर लौट सके.

(संवाद 365/कुलदीप राणा)

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