ऋषिकेश में आयोजित दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का समापन, रामदेव बोले ज्ञान, सेवा, साहित्य सृजन के योद्धा हैं निशंक

October 18, 2022 | samvaad365

ऋषिकेश। डॉ रमेश पोखरियाल निशंक का रचना संसार ऑनलाइन पुस्तक वार्ता की 75 श्रृंखलाएं पूरी होने के अवसर पर आयोजित की गई दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी व हीरक जयंती समारोह के दूसरे दिन दो सत्र आयोजित किए गए.

जिसमें पहले सत्र में बाबा रामदेव समेत कई अन्य अतिथि मौजूद रहे, जिन्होंने डॉ निशंक के साहित्य, रचनाधर्मिता, कृतित्व और व्यक्तित्व को लेकर अपने विचार रखे। कार्यक्रम में डॉ निशंक को नीदरलैंड की महर्षि इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी की ओर से साहित्य सेवा और विश्व शांति के प्रयासों के लिए पीएचडी की मानद उपाधि भी प्रदान की गई.

सोमवार को स्वर्गाश्रम स्थित परमार्थ निकेतन में आयोजित कार्यक्रम का मुख्य अतिथि पतंजलि योगपीठ के परमाध्यक्ष व कुलाधिपति आचार्य बाबा रामदेव, परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानंद मुनि महाराज, कार्यक्रम अध्यक्ष मौलाना आजाद नेशनल उर्दू विश्वविद्यालय हैदराबाद के कुलपति प्रो. सैय्यद एनुल हसन, वाडिया इंस्टीट्यूट के निदेशक कलाचंद साईं, ऋषि राज सुनील भगत, उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय की पूर्व कुलपति डॉ सुधा रानी पांडे, न्यूजीलैंड के प्रख्यात साहित्यकार रोहित कुमार हैप्पी, हिमालयीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. जेपी पचौरी, प्रति कुलपति डॉ. राजेश नैथानी ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलित कर शुभारंभ किया.

मुख्य अतिथि बाबा रामदेव ने कहा कि निशंक ज्ञान, भक्ति, सेवा साहित्य सृजन, पुरुषार्थ और समाज सेवा के योद्धा हैं। निशंक ने हमेशा दिखाया है कि उनके मन मे सृजनात्मकता को लेकर किसी तरह की शंका नहीं हैं।

कहा की निशंक का सम्मान पूरे हिमालय, पूरे सनातन का गौरव है। यह हर तरह की गुलामी से मुक्ति का समय है। हमे हिमालय के जल, जंगल, जमीन, जड़ी-बूटी को बचाने और बढ़ाने की जरूरत है। बताया कि भारतीय शिक्षा बोर्ड की मान्यता उत्तराखंड समेत कई राज्यों में हो चुकी है।

सामाजिक विज्ञान और इतिहास के पाठ्यक्रम में जो जानबूझकर भ्रमित किया गया है, उसे सुधारने का प्रयास है। भाषा, विज्ञान और गणित समेत अन्य विषयों में वैदिक मूल्यों को शामिल किया जाएगा। बोर्ड में भारतीय भाषाओं को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाएगी.

कार्यक्रम में वेद विश्व शांति अभियान के तहत प्रकाशित प्रो. टोनी नाडर की पुस्तक ‘चेतना का अंतहीन महासागर’  का विमोचन भी किया गया। डॉ. राजेश नैथानी ने बताया कि यह पुस्तक विज्ञान और आध्यात्म को जोड़ने का प्रयास है। डॉ. रहीम खान की डॉ निशंक के व्यक्तित्व और कृतित्व पर लिखित पुस्तक का भी विमोचन किया गया.

(संवाद 365, कुलदीप राणा)

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