डोबरा चांठी पुल: ऐसा नजार जो खींच रहा है पर्यटकों को

November 10, 2020 | samvaad365

टिहरी झील में ऐतिहासिक डोबरा चांठी पुल का सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने 8 नंवबर को शुभारंभ किया. अपनी डिजाइन और लाइटिंग की वजह से यह पुल पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. इस पुल में करोड़ों रुपए की लागत से एडवांस तकनीकी वाली फसाड लाइट लगाई गई है, जो लाइटिंग थीम पर जलती-बुझती है. यही वजह है कि फसाड लाइटिंग स्थानीय और पर्यटकों को अपनी ओर खींच रहा हैं.

फसाड लाइट बना आकर्षण का केंद्र

डोबरा चांठी पुल में लगे फसाड लाइट को देखने के लिए पर्यटकों का हुजूम लगने लगा है. पुल पर लाइटिंग के लिए ही साढ़े 5 करोड़ रुपये तक का खर्चा किया गय़ा है. ये फसाड लाइट कोलकाता के हावड़ा ब्रिज की तर्ज पर लगाई गई है, जिसमें रंग-बिरंगी जगमगाती लाइटें लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर रही हैं. 42 किलोमीटर की विशालकाय झील पर बना भारत का यह सबसे लंबा सस्पेंशन मोटरेबल झूला पुल है

14 साल में बना डोबरा चांठी पुल

लगभग 14 साल बाद तीन अरब रुपये की लागत से बना प्रतापनगर क्षेत्र के लोगों की लाइफ लाइन कहा जाने वाला डोबरा-चांठी पुल पूरे शबाब पर है. पुल पर आकर एक तस्वीर खिंचवाने के लिए लोगों की उतसुक्ता देखी जा सकती है. शाम होते ही पुल में लोगों की भीड़ लगने लग जाती है. सोशल साइट्स पर भी पुल पर लोगों की तस्वीरें खूब देखीं जा सकती हैं जिससे पुल की लोकप्रियता बढ़ती हुई दिख रही है. वहीं लोकप्रियता को देखते हुए जिला प्रशासन ने भी डोबरा में वेंडिग जोन बनाने की कवायद शुरू कर दी है. आने वाले समय में व्यवसायिक गतिविधियां भी यहां पर बढ़ने की उम्मीदें हैं. ब्लॉक प्रमुख प्रदीप रमोला और जिला पंचायत सदस्य जयवीर रावत ने टिहरी और चंबा से डोबरा तक जाने वाले सभी सड़कों की चौड़ीकरण के साथ ब्लाइंड मोड़ को दुरुस्त करने की मांग की है.

725 मी लम्बे इस डोबरा-चांठी पुल का निर्माण 295.92 करोड़ लागत से हुआ. डोबरा-चांठी वासियों की समस्याओं को देखते हुए त्रिवेंद्र सरकार में इस पुल को अपनी प्राथमिकताओं में सबसे ऊपर रखा था. कई सालों से निर्माणाधीन पुल के लिए त्रिवेंद्र सरकार ने एकमुश्त बजट जारी किया. जिसका परिणाम जनता के सामने है. इस पुल की क्षमता 16 टन भार सहन करने की है और इसकी उम्र करीबन 100 साल तक बताई जा रही है.

(संवाद 365/बलवंत रावत)

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