जंगलों में लगने वाली आग को लेकर वन विभाग हुआ अलर्ट

April 19, 2019 | samvaad365

चुनावी गर्मी के बाद अब राज्य में मौसम भी गर्माने लगा है। दिन तपने लगे है और सूरज ने आग उगलना शुरु कर दिया है। ऐसे में 70 फीसदी वन भूमि से आच्छादित उत्तराखंड में जंगल की आग एक बड़ी चुनौती बन कर सामने खड़ी है। आये दिन जंगलों में लग रही आग से नुकसान का भी हर साल इजाफा होता जा रहा है।

वन विभाग से मिली जानकारी के अनुसार फायर सीजन को देखते हुए सभी अधिकारी कर्मचारियों को अलर्ट किया जा चुका है तो वहीं आगामी फायर सीजन को देखते हुए छुट्टियों को भी रद्द कर दिया गया है। प्रमुख वन संरक्षक जयराज ने बताया कि आगामी फायर सीजन को देखते हुए तकरीबन 10 हजार कर्मचारियों की व्यवस्था सुनिश्चित की गई है जो की सीजन में आवश्यकता अनुसार उपयोग में लिए जाएंगे। इसके अलावा अधिकारियों को ज्यादातर फील्ड ड्युटी पर तैनात किया जाएगा। आम लोगों को वनाग्नी के प्रति जागरुक किया जाएगा और बताया जाएगा कि वन केवल विभाग की नहीं बल्की आम लोगों की धरोहर है और इसकी रक्षा हर किसी को करनी होगी साथ ही एक टोल फ्री नम्बर 18001804141 भी जारी किया गया है। वर्षा जल संरक्षण किया जा रहा है। जीआईएस और सेटेलाइट इमेज के जरिए फोरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया के साथ लगातार सामजंस्य बैठाया जा रहा है। बीते सालों में जहां एक तरफ उत्तराखंड के जंगलों में नियंत्रण से बाहर होती आग तो दूसरी तरफ सोशल मीडिया पर फैलती अफवाओं ने भी उत्तराखंड वन महकमें की खूब किरकीरी की थी। उत्तराखंड के जंगलों में लगी आग के दौरान सोशल मीडिया पर ऑस्ट्रेलिया के जंगलों में जले जानवरों की तस्वीरें खूब वायरल हुई थी जिसकों देखते हुए इस बार वन विभाग ने सोशल मीडिया पर इस तरह के भ्रामक प्रचार को नियत्रंण करने के लिए भी तैयारी की है।

उत्तराखंड के जंगलो में पिछले 5 सालों में लगी आग का हाल

वर्ष 2014 –

वनाग्नि  के वर्ष 2014 में 515 मामले सामने आये जिसमें से तकरीबन 930.33 हैक्टियर वन जल कर राख हो गये और 23.57 लाख का नुकसान पूरे फायर सीजन में हुआ।

वर्ष 2015-

फोरेस्ट फायर की 412 घटनाएं सामने आयी और सूबे का 701.61 हैक्टियर जंगल राख हो गया जिसमें 7.94 लाख का नुकसाल बताया गया है।

वर्ष 2016-

वनाग्नी के 2074 मामले सामने आये और प्रदेश का 4433.75 हैक्टियर जंगल जल कर राख हो गया जिसमें 46.50 लाख के नुकसान का आंकलन किया गया था।

वर्ष 2017-

वनों में आग की 805 घटनाएं चिन्हित की गई थी जिसमें सूबे का 1244.64 हैक्टियर वन राख हो गया और 18.34 लाख के नुकसान का आंकलन इस सीजन में किया गया।

वर्ष 2018-

उत्तराखंड के जंगलों में वनाग्नी की घटनाओं ने और तेज़ी पकड़ी है और पूरे सीजन 2150 घटनाएं सामने आयी और 4480.04 हैक्टियर जगल जल गया जिसमें 86.05 लाख के नुकसान का आंकलन किया गया।

वर्ष 2019 अब तक-

वहीं मौजूदा सीजन की बात की जाए तो हालत इस बार भी गभींर है। सीजन के अभी मात्र 60 ठण्डे दिन ही बीतें है और अभी पूरा भीषण गर्मी वाला सीजन बाकी है लेकिन अभी से तकरीबन 24 घटनाएं घट चुकी है जिसमें हजारों का नुकसान हो चुका है।

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देहरादून/काजल

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