उत्तरांचल विश्वविद्यालय के लॉ कॉलेज देहरादून में ‘संविधान एवं भारत का भविष्य’ विषय पर राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन

February 2, 2019 | samvaad365

उत्तराचंल विश्वविद्यालय के लॉ कॉलेज देहरादून में शनिवार को ‘संविधान एवं भारत का भविष्य’ विषय पर एक राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया गया। इस अवसर पर उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति मार्कंडेय काटजू ने बतौर मुख्य अतिथि एवं मुख्य वक्ता शिरकत की। सेमिनार में देश के विभिन्न नामचिन विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालयों से आये 400 से अधिक प्रतिभागियों ने भागीदारी की। इसके अतिरिक्त पत्रकारिता एवं जनसंचार के विद्यार्थी भी मौजूद रहे। वहीं इस सेमिनार को फेसबुक के माध्यम से न्यायमूर्ति काटजू के लाखों फालोवर्सं ने लाइव देखा।

कार्यक्रम का शुभारंभ अतिथियों द्वारा दीप प्रज्जवलित कर किया गया। सर्वप्रथम इसी विषय पर आयोजित राष्ट्रीय निबंध प्रतियोगिता के विजेताओं की घोषणा की गई और उन्हें पुरस्कारों से नवाजा गया। राष्ट्रीय निबन्ध प्रतियोगिता के प्रथम पुरस्कार नेशनल लाॅ स्कूल दिल्ली के दिव्यांशु चैधरी को जबकि नेशनल लाॅ स्कूल रांची के मोहित पांचाल को द्वितीय व लाॅ काॅलेज दूहरादून की अन्ना अनुप्रिया को तृतीय पुरूस्कार मिला।

 

काॅलेज के प्राचार्य डा0 राजेश बहुगुणा ने कहा कि उत्तरांचल विश्वविद्यालय की शैक्षिक नीति के तहत यहां देश व विदेश के विधि शास्त्रियों एवं विषय विशेषज्ञों को आमंत्रित किया जा रहा है ताकि विधि के छात्रों को विशेषज्ञों के व्याख्यानों व सानिध्य का सीधा लाभ मिल सके।

अपने संबोधन में न्यामूर्ति मार्कंडेय काटजू ने कहा अपने विशेष संबोधन में भारत के संविधान के मूल अधिकारों एवं राज्य के नीति निर्धारक तत्वों का वर्तमान परिप्रेक्ष्य में विश्लेषण किया। इसके साथ ही उन्होनें देश भर के हर एक मुद्दे पर अपनी बेवाक राय दी, चाहे वो राममंदिर का मामला हो या फिर गौमाता व गौमांस और चाहे वो मतदान की प्रासंगिता की बात की। अपने संबोधन के उपरान्त न्यायमूर्ति मार्कंडेय काटजू ने  खुले-सत्र का आयोजन किया और उपस्थित शिक्षकों, छात्रों व पत्रकारों से संविधान व भारत के भविष्य को लेकर प्रश्न आमंत्रित किये। इस सत्र में उन्होनें अपने संदर्भ में कहा कि 73 साल की आयु मैने जीवन में एक ही बार वोट दिया है वो भी तब जब में अबोध था।

लाॅ कालेज देहरादून के स्टूडेन्ट के सवाल भारत के भविष्य पर उन्हेाने कहा कि लोकसभा चुनाव 2019 मे के आकलन में कहा  िक इस बार किसी की पूर्णबहुमत सरकार नहीं बनेगी, उनका मानना था कि भाजपा एवं कांग्रेस को 125 और बची हुई सीटें क्षेत्रिय पार्टियों को महागबंधन को जाएंगी। महागठबंधन पर बोलते हुए उन्होने कहा कि ये सब साप बिच्छु और कौवे है इसका हाल 1976 की जनता पार्टी जैसा होगा। ये पदो ंके लिए लडेंगे और यह अस्थिरता का माहौल आने वाले 15 सालों तक चलेगा। इसके अतिरिक्त उन्हेाने जातिवाद को देश की गंभीरतम समस्या बताते हुए कहा कि देश का सुशिक्षित वर्ग आजादी के 71 सालों के बाद भी इस मुढमान्यता से बाहर नहीं निकल पाया है। उन्होंने युनिफार्म सिविल कोर्ड का पुरजोर सर्मथन किया और सरिया कानुन और बर्खे प्रथा को पिछडेपन का द्योतक बताया। लाॅ छात्रों के भविष्य पर बोलते हुए उन्होने कहा कि वकालत इतना सहज नहीं है लेकिन इस क्षे़त्र नवीन अवसरों के चलते भविष्य सुनहरा है।

 

उन्होने न्यायपालिका की भूमिका, लोकतंत्र, आरक्षण, मीडिया की भूमिका पर अपनी ईमानदार राय रखी।  अंत में समाधान के तौर पर उन्होंने कहा कि संविधान संसोधन का कोई अवचित्य नहीं अपितु संविधान में आमूलचूल परिवर्तन करने की जरूरत है और जो किसी क्रान्ति के बगैर संभव नहीं है। इस अवसर पर मुख्यरूप से विश्वविद्यालय के चांसलर श्री जितेन्द्र जोशी, वाइस चांसलर डा0 एन0के0 जोशी, लाॅ काॅलेज के प्राचाय प्रो0 (डा0) राजेश बहुगुणा, डा0 अभिषेक जोशी, रजिस्ट्रार अजय सिंह, डा0 मुकेश बोरा, डा0 पूनम रावत, कुमार आशुतोष, स्मृति उनियाल, वेदप्रकाश मौजूद थे।

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देहरादून/स्मृति उनियाल

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