पिथौरागढ़ : शहीदी के 23 साल बाद भी शहीद जवान के गाँव नहीं पहुंची सड़क, पलायन कर रहे ग्रामीण

January 25, 2023 | samvaad365

पिथौरागढ़. उत्तराखंड को वीर सैनिकों की भूमि भी कहा जाता है. इस पहाड़ी राज्य से देश सेवा का जुनून लिए जवानों की फेहरिस्त बहुत लंबी है. यहां की भूमि तमाम ऐसे वीर सैनिकों की धरती भी रही है, जिन्होंने युद्ध में अपने साहस से दुश्मनों को नाकों तले चने चबवा दिए. सीमांत जिले पिथौरागढ़ से अनेक सैनिकों ने कारगिल युद्ध में हिस्सा लिया था, जिसमें से चार लोगों ने अपनी शहादत दी थी. शहीद के परिवारों को सरकार द्वारा दी जाने वाली सुविधाओं से अभी भी कई लोग वंचित हैं.

हम बात कर कर रहे हैं पिथौरागढ़ जिला मुख्यालय से 30 किलोमीटर दूर कनालीछीना क्षेत्र के गांव भेवस्वानी के रहने वाले शहीद गोपाल सिंह अन्ना की, जिन्होंने कारगिल युद्ध में अपनी शहादत दी थी. दुर्भाग्य की बात यह है कि 23 साल बीत जाने के बाद भी शहीद के गांव तक सड़क नहीं पहुंच पाई है. जबकि सरकार की तरफ से शहीद होने वाले सैनिकों के गांव तक सड़क पहुंचाने के साथ ही उन्हें अन्य मूलभूत सुविधाएं देने का भी प्रावधान है.

उत्तराखंड जिले में शहीद दिवस के दिन यहां के शहीदों को खूब याद किया जाता है. उनके परिजनों का मात्र एक शॉल ओढ़ाकर सम्मानित कर दिया जाता है, लेकिन हकीकत में सम्मान के अलावा उन्हें जो मूलभूत सुविधाएं हैं, वो नहीं मिल पा रही हैं. शहीद गोपाल सिंह को मरणोपरांत सेना मेडल से भी नवाजा गया है और उनके आंगन की मिट्टी भी देहरादून में बन रहे सैन्यधाम तक ले जाई चुकी है, लेकिन आज पूरे 23 साल होने के बाद भी शहीद के गांव पहुंचने के लिए सड़क ही नहीं बन पाई है, जिससे यहां के ग्रामीण टूटे-फूटे रास्तों से अपने गांव पहुंचते हैं.

शहीद का गांव झेल रहा पलायन की मार

यहां के ग्रामीण और शहीद गोपाल सिंह के परिवार से ताल्लुक रखने वाले गिरीश उपाध्याय का कहना है कि वह सालों से शहीद के गांव तक सड़क पहुंचाने के लिए ज्ञापन दिए जा रहे हैं, लेकिन अब तक इस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है. उनका कहना है कि सड़क ना होने से आज शहीद का गांव पूरी तरह से पलायन की मार झेल रहा है और गांव में होने वाले उत्पाद गांव में ही सड़ जा रहे हैं. अब इन बातों से अंदाजा लगाया जा सकता है कि हर साल शहीदों के स्मारक पर बड़े-बड़े नेता फूलों का हार चढ़ाने तो जरूर पहुंचते हैं, लेकिन जब उनके परिजन उन्हें मूलभूत सुविधाएं देने की बात करते हैं, तो उस समय सिर्फ उन्हें आश्वासन ही मिलता है .

संवाद 365, दिविज बहुगुणा

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