कॉर्बेट प्रशासन गिद्धों के संरक्षण और उनकी निगरानी के लिए अब जल्द ही रेडियो टैगिंग की प्रक्रिया शुरू करने जा रहा है। जिससे पर्यावरण के इन सफाईकर्मियों के प्रवास मार्ग की कॉर्बेट लैंडस्केप में सही जानकारी जुट पाएगी।बता दें कि, कॉर्बेट प्रशासन अब कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में गिद्धों के संरक्षण और उनकी संख्या में वृद्धि के लिए भारतीय वन्यजीव संस्थान (डब्ल्यूआईआई) के सहयोग से रेडियो टैगिंग की प्रक्रिया शुरू करने जा रहा है। इससे दोनों की लोकेशन का पता लग पाएगा। साथ ही इनकी सुरक्षा भी की जा सकेगी।
वहीं, विश्व प्रसिद्ध जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क में बाघों के साथ ही कई वन्यजीवों हाथी, गुलदार और पक्षियों के दीदार के लिए भी पर्यटक कॉर्बेट पार्क में पहुंचते हैं। इन सब में सबसे अहम भूमिका निभाने वाले पर्यावरण के सफाईकर्मी कहे जाने वाले गिद्धों के संरक्षण के लिए भी अब कॉर्बेट प्रशासन कदम उठाने जा रहा है। गिद्धों के प्रवास के मार्ग एवं कॉर्बेट में मौजूदगी की सटीक सूचना के लिए कॉर्बेट प्रशासन इनकी रेडियो टैगिंग करने जा रहा है।पक्षी विशेषज्ञ संजय छिमवाल का कहना है कि देश में गिद्धों की आबादी कम हो चुकी है। अगर रेडियो टैगिंग होगी तो उससे गिद्धों के मूवमेंट के बारे में पता चलेगा। उनकी संरक्षण के लिए क्या प्रयास किए जाने चाहिए और वे कहां-कहां रुकते हैं और कैसा उनका आहार, व्यवहार है यह सारी जानकारियां इससे मिल सकेंगी।कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के निदेशक राहुल कुमार ने बताया कि कॉर्बेट टाइगर के अलग-अलग जोनों में बड़ी संख्या में वल्चरस मौजूद है। इन वल्चर का सीजनल वेरिएशन भी होता है। अलग-अलग क्षेत्रों में कहां पर इनका क्या माइग्रेशन है और इनकी क्या गुड हैबिट्स है, किस तरीके के हबीटेट्स में यह रहते हैं। उसी के अनुसार इसको स्टडी की जा रही है और आगे की कार्रवाई की जा रही है।
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