रुद्रप्रयाग: स्वरोजगार की मिसाल बने अरूण चमोला… वाटर प्लांट से लोगों को भी दिया रोजगार

June 16, 2020 | samvaad365

रुद्रप्रयाग: अगर पहाड़ में कागजी योजनाओं से इतर व्यवहार में बेहतर नीतियाँ बने और वह धरातल पर उतरें तो यहां रोजगार की कोई कमी नहीं है। इसी दिशा में कुछ जूनूनी लोगों ने सार्थक प्रयास करके भी दिखायें हैं। रोजगार के लिए पहाड़ के आम युवाओं की तरह बसुकेदार के अरूण चमोला ने भी दिल्ली मुम्बई जैसे महानगरों के धक्के खाए। अच्छी खासी डिग्री होने के बाद भी सम्मानजनक रोजगार न मिला तो वे अपने पहाड़ लौट आए और यहीं स्वरोजगार करने की ठानी।  दो वर्ष पूर्व उद्योग विभाग के परामर्श पर बैंक से 10 लाख रूपये का ऋण लिया और रूद्रप्रयाग के मालतोली  गाँव में एक बद्री केदार  के नाम से वाटर प्लांट लगा दिया जिसमें आस-पास के प्राकृतिक जल स्रोत का पानी लिप्ट किया जा रहा है। उसे बोतलों में पैक कर रूद्रप्रयाग और चमोली जिले में निर्यात किया जा रहा है।

हालांकि पहले वर्ष सरकारी सहायता न मिलने के कारण अरूण चमोला को न केवल भारी परेशानियों का सामना करना पड़ा बल्कि आर्थिक रूप से भी भारी घाटा उठाना पड़ा। लेकिन साथ में उनकी पत्नी अखिला चमोला ने भी उनके कंधे से कंधा मिलाकर मोर्चा सम्भाला तो बीते वर्ष के अंत से परिणाम बेहतर आने लगे। वर्तमान में 6 स्थानीय लोगों को इस वाटर प्लांट से रोजगार मिल रहा है। बद्री केदार यात्रा मार्ग समेत रूद्रप्रयाग के सभी छोटे-बड़े बाजारों, कस्बों, सरकारी कार्यालयों में इसी पानी की सप्लाई होती है। अरूण चमोला को इस वाटर प्लांट से महीने में करीब ढेड़ लाख रूपये की आमदनी हो रही है।

https://youtu.be/Jro_QKcpmVA

आपको बताते चले कि अब तक मैदानी क्षेत्रों से ही बोतल बंद पानी पहाड़ों में सप्लाई होता आ रहा है। जबकि उत्तराखण्ड के हर जिलों में प्राकृतिक जल स्रोतों की भरमार है जो अपने आप में फिल्टर से भी शुद्ध पानी माना जाता है। लेकिन इन जल स्रोतों का उपयोग न होने से इनका अस्तित्व ही खत्म होता जा रहा हैं। अरूण चमोला ने इस दिशा में कार्य कर स्वरोजगार की मिशाल तो पेश की ही है बल्कि इन जल स्रोतों का संरक्षण भी किया है।

https://www.youtube.com/watch?v=LiAxr_N6UrM

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संवाद365/कुलदीप राणा

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