गर्मियां शुरू होते ही रूद्रप्रयाग जनपद के कई क्षेत्र पेयजल के भारी संकट से जूझने लगे हैं। पेयजल योजनाओं पर करोड़ों रूपये हर साल खर्च करने वाला जल संस्थान और जल निगम फिर से सवालों के घेरे में आ गए हैं। भले ही इस वर्ष पहाड़ों पर भरपूर बर्फबारी और बारिश होने के कारण माना जा रहा था कि इस बार पेयजल की समस्या नहीं आयेगी, लेकिन जैसे ही गर्मियां शुरू हुई तो रूद्रप्रयाग के कई क्षेत्रों में पेयजल का भारी संकट गहराने लगा है। आपको बता दे कि घेंघड़खाल क्षेत्र पिछले कई दशकों से पेयजल की भारी किल्लत से जूझ रहा है।
यहां बरसात के समय कुदरत की मेहबानी के कारण ग्रामीणों के हलक तर जरूर होते हैं किन्तु अन्य आठ महिने इन्हें कई किमी दूर हैण्डपंम्पों के सहारे ही पानी ढोने के लिए मजबूर हैं। स्थिति यह है कि परिवार के दो सदस्यों की जिम्मेदारी तो दिनभर पानी भरने के लिए ही लगाई जाती है। सबसे अधिक समस्यायें महिलाओं और बच्चों को यहां झेलनी पड़ती है। लेकिन पिछले कई सालों से पानी की इस विकट समस्या के निराकरण को लेकर जनप्रतिनिधियों और जल संस्थान से गुहार लगाते आ रहे हैं लेकिन ग्रामीणों की कोई सुनने वाला ही नहीं है।
विकास खण्ड जखोली का यह पहला गांव नहीं है जो पानी की किल्लत से जूझ रहा है, बल्कि दर्जनों ऐसे गांव हैं जहां गर्मियां शुरू होते ही हर साल पानी का हाहाकार मचना भी शुरू हो जाता है। मठियाणाखाल क्षेत्र में जनवारी माह से जुलाई अगस्त के महिने तक खच्चरों के जरिए पानी मंगवाना पड़ता हैं जिससे ग्रामीणों तीन से चार सौ रूपये प्रतिदिन खर्च करना पड़ता है। जबकि पैसें देने में असमर्थ अत्यधिक गरीब परिवारों को छः -सात किमी दूर प्राकृतिक जल स्रोतों से पानी लेना पड़ता है।
उधर जल संस्थान और जल निगम हर साल इन क्षेत्रों के लिए पेयजल योजनाओं के दुरूस्त करने और नई योजनाओं को बनाकर ग्रामीणों की समस्याओं को हल करने का दावा तो करता है लेकिन वह पूरी तरह से विफल साबित हो रहा है। अब जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल भी इन पानी की किल्लत को दूर करने की बात कर रहे हैं।
पेयजल योजनओं तथा उनके पुर्नर्निमाण पर हर साल लाखों रूपये खर्च करने के बाद भी जल संस्थान ग्रामीणों के हलक तर नहीं कर पा रहा है तो यह विभागीय लापरवाही ही इसे कह सकते हैं। बिजली, पानी और सड़क जैसे मूलभूत सुविधाओं के लिए मांगे गए उत्तराखण्ड राज्य में अठाराह वर्ष बाद भी पानी जैसे प्राथमिक सुविधा न मिलने के कारण ग्रामीणों का जीवन दूभर हो रखा है।
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रुद्रप्रयाग/कुलदीप राणा