अपने गांव को एक बार फिर संवारने के लिए ये शख्स कर रहा 2 साल से मेहनत,कमा रहा लाखों

February 6, 2019 | samvaad365

पलायन के दंश से एक ओर जहां पूरा पहाड़ ग्रसित है वहीं पलायन को रोकने और अपने गांव को संवारने के लिए रुद्रप्रयाग जिले के बर्सू गांव के विजय सेमवाल 2 सालों से लगातार प्रयास कर रहे हैं उनका ये काम उन लोगों के लिए तमाचे का काम कर रहे हैं जिनका कहना है कि पहाड़ में रोजगार नहीं।

विजय स्वयं अपनी 20 नाली (आठ बीघा) भूमि में सब्जी उत्पादन कर सालाना दो लाख से अधिक की कमाई भी कर रहे हैं। ऐसे में अब कई अन्य परिवार भी गांव लौटने का मन बनाने लगे हैं। इससे उत्साहित होकर प्रशासन भी गांव को दोबारा आबाद करने के प्रयासों में जुट गया है। गांव में ही सर्किट हाउस का निर्माण भी प्रस्तावित है। इसके लिए 15 नाली भूमि चयनित कर ली गई है।

जिला मुख्यालय रुद्रप्रयाग से साढ़े चार किमी की दूरी पर स्थित बर्सू गांव तीन दशक पूर्व तक धनपुर पट्टी का सबसे ज्यादा विकसित गांव हुआ करता था। यहां के लोग सब्जी से लेकर अनाज उत्पादन तक में सबसे आगे थे। लेकिन, एक वक्त ऐसा भी आया, जब गांव के सभी 65 परिवार एक के बाद एक पलायन कर शहरों समेत अन्य सुविधाजनक स्थानों पर जा बसे।

हालांकि, गांव में तब सड़क को छोड़कर बिजली-पानी, सिंचाई आदि की सुविधाएं उपलब्ध थीं। यही नहीं, गांव खाली होने के बाद वर्ष 2011 में में वहां सड़क भी पहुंच गई। इसके बावजूद गांव से गए किसी भी परिवार ने दोबारा वापस लौटना मुनासिब नहीं समझा। लेकिन दो साल पहले विजय सेमवाल गांव लौटे और सब्जी उत्पादन के साथ गांव में ही मुर्गी पालन व गो पालन का काम शुरू किया। इससे अच्छी आमदनी होने लगी तो विजय से प्रेरित होकर दो अन्य ग्रामीण हरीश सेमवाल व दिनेश सेमवाल भी अब गांव लौटने की तैयारी में हैं। विजय सेमवाल बताते हैं कि गांव से पलायन की पीड़ा ने उन्हें अंदर तक झकझोर दिया था। लिहाजा, उन्होंने गांव को फिर से आबाद करने का निर्णय लिया और वहां सब्जियां उगानी शुरू कीं। जैविक तरीके से उगाई जा रही इन सब्जियों की बाजार में अच्छी डिमांड है। वर्तमान में उनका परिवार रुद्रप्रयाग शहर में रह रहा है।

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संवाद 365/संध्या सेमवाल

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