देवभूमि एक बार फिर गौरवान्वित हो गई है जी हां इस बार देवभूमि और देश को गौरवान्वित करने का काम किसी बड़े सेलिब्रिटी या किसी सिंगर, डांसर ने नहीं किया बल्कि इस बार एक आठ साल के खिलाड़ी ने देवभूमि का सिर गर्व से फिर ऊंचा कर दिया है। शतरंज की दुनिया में वैसे तो बड़े-बड़े सुरमाओं के भी पसीने छूट जाते हैं लेकिन उत्तराखंड के बागेश्वर जिले में रहने वाले आठ साल के सदभव रौतेला ने वो कारनामा कर दिखाया है जिससे देवभूमि के साथ-साथ देश का भी नाम ऊंचा हो गया है।
आठ साल के नन्हे खिलाड़ी सदभव रौतेला ने शतरंज की दुनिया में इतिहास रच दिया है। दरअसल उन्होंने विज्ञापन कंपनी फिडे की ओर से जारी ताजा सूची में 1800 रेटिंग अंक हासिल कर सदभव रौतेला एशिया के नंबर एक शतरंज के खिलाड़ी बन गए हैं। बताते चलें कि फिडे की ओर से जारी ताजा रैंकिंग में सदभव ने अंडर-9 आयु वर्ग में उजबेकिस्तान के खुमोयुन बागमुरातोव को पीछे छोड़कर पहला स्थान हासिल किया है। सदभव से पहले भारत के पहले जूनियर ग्रैंड मास्टर परिमार्जन नेगी ने साल 2002 में 10 वर्ष से कम की आयु वर्ग में एशियाई चैंपियन बने थे। जूनियर ग्रैंड मास्टर परिमार्जन नेगी चमोली गैरसैंण के रहने वाले थे।
गौरतलब है कि सदभव की तरह उनके बड़े भाई सक्षम रौतेला भी एक इंटरनेशनल चेस प्लेयर हैं और कई सारे टूर्नामेंट्स जीत चुके हैं। सक्षम ने हाल ही में मुंबई में हुए आईआईएफएल टूर्नामेंट में ग्रैंड मास्टर कैटेगरी में खेलते हुए दो ग्रैंड मास्टर को हराया और एक इंटरनेशनल मास्टर के साथ ड्रा खेला था।
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बागेश्वर/हिमांशु गढ़िया