जिले ने दिए 4 सीएम, लेकिन विकास की गाड़ी में लगा हुआ है जंक, पढ़े पूरी खबर

January 19, 2019 | samvaad365

पौड़ी में निर्माणाधीन बस अड्डा सालों से विकास की रह ताक रहा है. 2010 में शुरू हुए इस बस अड्डे के निर्माण का कार्य आज 8 साल बाद भी पूरा नहीं हो पाया है. वादों और घोषणाओं में तो शहर के विकास के कई दावे किये गये, लेकिन धरातलीय हकीकत कुछ और ही है. जिसका सबसे अच्छा उदाहरण यहां का निर्माणाधीन बस अड्डा है. जिसका काम पिछले 8 सालों से कछुए की गति से चल रहा है.

जिले का ये मंडल मुख्यालय बीते कई समय से लगातार उपेक्षा का शिकार हो रहा है. राज्य बनने से पहले पौड़ी मुख्यालय की अपनी अलग ही शान होती थी. राज्य बनने के बाद यहां के लोगों को उम्मीद थी कि विकास की बयार बहेगी. पौड़ी भी विकास की रफ्तार पकड़ेगा. लेकिन हकीकत इसके ठीक उलट है. सरकारी आंकड़ों की मानें तो प्रदेश से सबसे ज्यादा पलायन करने वाला जनपद पौड़ी ही है. इन आंकड़ों से जाहिर होता है कि बीते 18 सालों में पौड़ी पिछड़ता चला जा रहा है.

बात अगर यहां के बस अड्डे की करें तो साल 2006 में इसके निर्माण के लिए 4 करोड़ 52 लाख की धनराशि की घोषणा की गयी थी, लेकिन नगर पालिका पौड़ी को इसकी पहली किस्त ही 2010 में प्राप्त हुई. उसके बाद इस बस अड्डे का निर्माण कार्य शुरू किया गया.  जिसके बाद मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा के कार्यकाल में पालिका को दूसरी किस्त के रूप में 2 करोड़ 26 लाख आवंटित किए गए. 8 साल बीतने के बाद भी अबतक बस अड्डे का निर्माणकार्य पूरा नहीं हो पाया है. वर्तमान सरकार ने सितंबर 2017 में इस बस अड्डे के लिए 1 करोड़ 67 लाख की राशि दी.

वहीं बस अड्डे के निर्माण को लेकर पौड़ी की जनता का कहना है कि शासन-प्रशासन की नाकामी के चलते अब तक इस बस अडडे का निर्माण नहीं हो पाया है. बजट के अभाव के चलते बस अड्डे समेत कई भवन निर्माणाधीन ही पड़े हैं जो कि समय बीतने के साथ और भी जर्जर होते जा रहे हैं. लोगों का कहना है कि नेताओं और पार्टियों के केवल चुनावों के समय इन सब चीजों की याद आती है और उसके निपटते ही सब इससे अपना मुंह मोड़ लेते हैं.

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पौड़ी गढ़वाल/संध्या सेमवाल

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