आज नवरात्रि की पंचमी तिथि को मां भगवती की पांचवी शक्ति स्कंद माता के पूजन का विधान है। कुमार कार्तिकेय की माता होने के कारण इन्हें स्कंदमाता कहा जाता है क्योंकि कुमार कार्तिकेय का एक नाम स्कंद भी है। मां अपने इस स्वरुप में स्कंदकुमार को अपनी गोद में लिए हुई हैं। इनकी चार भुजाएं हैं दाहिनी ओर की ऊपर वाली भुजा में कमल पुष्प धारण करती हैं तो वहीं नीचे वाली भुजा वर मुद्रा में है। बाएं ओर की ऊपर वाली भुजा में भी कमल धारण करती हैं तो वहीं नीचे वाली भुजा से वे स्कंदकुमार को गोद में लिए हुई हैं। इनका वाहन शेर है। ये कमल के पुष्प पर विराजती हैं इसलिए इन्हें पद्मासना देवी भी कहा जाता है। इनका स्वरुप अत्यंत ममतामयी व परम सुखदायी है।
मां को प्रसन्न करना है तो करें इस मंत्र का जाप
या देवी सर्वभूतेषु माँ स्कन्दमाता रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
स्कंदमाता को केले का भोग अर्पित करना चाहिए और भोग लगाने के बाद ब्रह्माणों को केले का दान करना चाहिए। इससे घर में समृद्धि आती है।
संवाद365,डेस्क
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